काबुल की ओर बढ़े तालिबान, जनता ने उठाए हथियार

काबुल की ओर बढ़े तालिबान, जनता ने उठाए हथियार तालिबान ने संघर्ष का दायरा बढ़ाते हुए अब अफगानिस्तान के बड़े शहरों का रुख करना शुरू कर दिया है।

काबुल में विदेशी दूतावास और सरकारी इमारतों के केंद्र ग्रीन जोन के निकट धमाके और लगातार फायरिंग की आवाज सुनी गई हैं। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ग्रीन जोन के निकट पहले धमाका हुआ और उसके बाद फायरिंग शुरु हुई जिसके नतीजे में तीन लोग मारे गए हैं जबकि कई अन्य लोग घायल हैं।

अफगानिस्तान स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता गुलाम दस्तगीर ने कहा है कि इस घटना में तीन लोग मारे गए हैं और सात अन्य घायल हुए हैं। सुरक्षा अधिकारियो का कहना है कि यह धमाका एक कार में रखे बम के द्वारा किया गया और इसमें एक सांसद के घर को निशाना बनाया गया था।

हालाकि काबुल में धमाकों और फायरिंग की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी संगठन नहीं ली है मीडिया रिपोर्ट के अनुसार धमाका होने के कुछ देर बाद ही काबुल के शहरी अल्लाहो अकबर के नारे लगाते हुए घरों से बाहर निकल आए। अफ़ग़ानिस्तान की जनता तालिबान के खिलाफ अपनी सरकार के समर्थन में नारे लगा रही है।

काबुल शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों ने देर रात तक मार्च किया जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थी। प्रदर्शनकारी हाथों में मोमबत्तियां और देश का झंडा उठाए हुए थे।

कैंडल मार्च में शामिल एक युवा ने अपनी पहचान उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि काबुल में जो कुछ रहा है उस पर पूरी दुनिया चुप रह सकती है लेकिन हम खामोश नहीं रह सकते। हम अब और सहन नहीं कर सकते और हम अपनी अंतिम सांस तक देश के सुरक्षा बलों के साथ खड़े हैं।

याद रहे कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के निकलने के साथी तालिबान ने देश में आतंक का माहौल बना रखा है। अफगान सेना ने देश के विभिन्न हिस्सों मे तालिबान आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है जबकि तालिबान ने भी दायरा करते हुए देश के बड़े शहरों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है।

अफगान सेना ने तालिबान का सामना करने के लिए हेरात में सैंकड़ें कमांडर तैनात कर दिए हैं लश्करगाह शहर में भी तालिबान के आतंक रोकने के लिए अफगान सेना ने अतिरिक्त बलों की मांग की है।

हेरात के गवर्नर के प्रवक्ता जिलानी फरहाद के अनुसार सेना के हमले में सैकड़ों तालिबान आतंकी मारे गए हैं। लश्करगाह के हालात भी सही नहीं है। मानव अधिकार संगठनों का कहना है कि शहर के अस्पतालों में बड़ी संख्या में घायलों को लाया जा रहा है। शहर के अस्पताल अपनी क्षमता से 90% अधिक लोगों का उपचार कर रहे हैं।

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