तालिबान ने किया मंत्रीमंडल विस्तार, एक भी महिला को नहीं मिला स्थान

तालिबान ने किया मंत्रीमंडल विस्तार, एक भी महिला को नहीं मिला स्थान तालिबान ने अपने अंतरिम मंत्रिमंडल में विस्तार करते हुए 27 नए सदस्यों को जगह दी है।

तालिबान के मंत्रिमंडल में इस बार भी किसी महिला को जगह नहीं दी गई है। अफगानिस्तान पर 15 अगस्त को कब्जा करने वाले तालिबान ने घोषणा की थी कि वह देश में एक समावेशी सरकार की स्थापना करेगा जिसमें सभी वर्गों को भागीदारी दी जाएगी लेकिन अभी तक तालिबान ने अपने वादे पर अमल नहीं किया है।

तालिबान सरकार ने अपने अंतरिम मंत्रिमंडल में विस्तार के साथ ही आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि विदेशों में अफगानिस्तान के दूतावासों में नए अधिकारियों की तैनाती की जाएगी । तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान समय में अफगानिस्तान के अधिकांश दूतावासों में पूर्व सरकार द्वारा नियुक्त किए गए राजदूत ही अपने पद पर तैनात हैं। इस संबंध में हम जल्द ही कोई कदम उठाएंगे और विदेशों में मौजूद अफगानिस्तान के दूतावासों से संपर्क में हैं। जल्दी ही भारी स्तर पर फेरबदल किया जाएगा और कुछ नए लोगों की तैनाती की जाएगी ।

अफगानिस्तान के दूतावासों में हो रहे बदलाव के बारे में तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि यह नियुक्तियां तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हैबतुल्लाह आखुंदज़ादेह के निर्देशों के अनुसार हो रही हैं। इस सूची में दो दर्जन से अधिक उच्च स्तरीय अफसरों के नाम शामिल हैं जिसमें मंत्री एवं उप मंत्री पद भी शामिल हैं।

तालिबान की ओर से अफगानिस्तान के दूतावासों में बदलाव के बारे में टिप्पणी करते हुए नार्वे में अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत रहे शुक्रिया बराकज़ई ने कहा है कि यह नियुक्तियां तब तक संभव नहीं है जब तक तालिबान शासन को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता नहीं मिल जाती।

अफगानिस्तान के वरिष्ठ राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद खान ने कहा है कि अगर तालिबान शासन के अपने दूतावासों के साथ राजनीतिक संबंध अच्छे नहीं होंगे तो यह दूतावास ढंग से अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर सकते। दूतावास के कर्मचारियों एवं राजनीतिक मिशन को चलाने के लिए बजट की जरूरत होती है।

तालिबान शासन की स्थापना के बाद से ही अफगानिस्तान में संकट और अधिक गहरा गया है। ऐसे में तालिबान के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। चीन विरोधी तालिबानी लड़ाके भी आईएसआईएस-के से जुड़ रहे हैं जिसे तालिबान में बिखराव की शुरुआत माना जा रहा है।

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