रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए प्रधान मंत्री
रानिल विक्रमसिंघे ने छठी बार श्रीलंका के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली। श्रीलंका राजनीतिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। विक्रमसिंघे की नियुक्ति राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भाई महिंदा राजपक्षे द्वारा अपने समर्थकों द्वारा शुरू किए गए दंगों के बीच पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद हुई है।
विक्रमसिंघे 73 एक कुलीन परिवार के वंशज हैं जिनकी जड़ें स्वतंत्रता पूर्व श्रीलंका तक जाती हैं जहां उनके नाना डीआर विजेवर्धने ने स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करने वाले समाचार पत्रों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी। रानिल विक्रमसिंघे के दादा सीजी विक्रमसिंघे श्रीलंका के सबसे वरिष्ठ औपनिवेशिक सरकारी कर्मचारी थे।
श्रीलंका में हिंसक प्रदर्शन के बाद अब हालात बेहतर होते दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के कार्यकारी शक्तियों को छोड़ने के बाद अब यूएनपी के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने आज प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने ली। शाम 6.30 बजे शपथ ग्रहण का कार्यक्रम हुआ। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया और विक्रमसिंघे के बीच कल शाम को हुई लंबी बातचीत के बाद यह फैसला हुआ। इससे पहले गोटाबाया के भाई महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। रानिल विक्रमसिंघे 5 बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
रानिल विक्रमसिंघे चीन समर्थक महिंदा राजपक्षे की अपेक्षा भारत के ज्यादा करीब रहे हैं। रानिल के प्रधानमंत्री बनने से उम्मीद है कि भारत के साथ रिश्ते और ज्यादा मधुर होंगे। महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद पूरे देश में जमकर हिंसा हुई थी और प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री के पैतृक घर को जला दिया था। यही नहीं महिंदा के आधिकारिक आवास को भी जलाने का प्रयास किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक रानिल विक्रमसिंघे शपथ ग्रहण करने के बाद कोलंबो के एक मंदिर गए। इसके बाद वह अपनी जिम्मेदारियों को संभालेंगे। इस बीच श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनका परिवार तब तक त्रिंकोमाली नौसैनिक अड्डे पर रहेगा जब तक कि व्यापक हिंसा के बाद द्वीप राष्ट्र में वापस सामान्य स्थिति नहीं हो जाती।