पाकिस्तान के साथ तुर्की भी ग्रे लिस्ट में शामिल, बिगड़ेगी आर्थिक स्थिति पाकिस्तान के लिए तमाम प्रयास के बावजूद भी फ्रांस से बुरी खबर सामने आ रही है।
पाकिस्तान के साथ तुर्की को भी जोर का झटका लगा है। रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस की राजधानी पेरिस में 3 दिन तक चली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स {एफएटीएफ} की मीटिंग के बाद तुर्की और पाकिस्तान को अप्रैल 2022 तक ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है।
तुर्की के लिए यह खबर बेहद दुखदायी हो सकती है। उसे पाकिस्तान के साथ आतंकवाद के वित्त पोषण एवं मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में ग्रे लिस्ट में डाला गया है। पहले से ही आर्थिक तंगी एवं परेशानियों से घिरे पाकिस्तान के लिए यह खबर बेहद मुश्किलों भरी है।
इमरान खान सरकार के लिए यह बेहद कठिन स्थिति है। पहले से ही संकट से जूझ रही इमरान सरकार को एफएटीएफ के इस फैसले के बाद बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संगठन है जिसे 1989 में शुरू किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय तंत्र, आतंकी संगठनों को होने वाली फंडिंग एवं मनी लांड्रिंग के खतरों से मुकाबला करने के लिए बनाए गए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स में इस समय 39 देश शामिल हैं। इसमें गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल और यूरोपीयन कमिशन के रूप में दो क्षेत्रीय संगठन भी शामिल है। भारत एफएटीएफ का सदस्य है और एशिया पेसिफिक ग्रुप में शामिल है।
एफएटीएफ ने 2019 में ईरान और नॉर्थ कोरिया को भी प्रतिबंधित किया था। इस बार तुर्की के साथ-साथ जॉर्डन और माली को भी इस संगठन की ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया है। सीरिया, पाकिस्तान, श्रीलंका , पनामा , इथोपिया ,कंबोडिया और यमन समेत एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में कई देश शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष वर्ल्ड बैंक एशियन डेवलपमेंट बैंक और रोड यूरोपियन यूनियन से आर्थिक मदद लेने में मुश्किलों का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल होने के बाद कठिनाइयां और बढ़ जाएंगी। अभी तक चीन और मलेशिया तथा तुर्की की सहायता से पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट होने से बचता रहा है लेकिन अब खुद तुर्की भी ग्रे लिस्ट में शामिल हो गया है।
एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान के शामिल होने के बाद देश की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाएगी और इस बात को पाकिस्तान के कई अधिकारी और राजनीतिक भी दबी जुबान में स्वीकार कर रहे हैं। पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में शामिल होने के बाद देश में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना टेढ़ी खीर साबित होगा वहीं इससे पाकिस्तान के निर्यात पर भी भारी प्रभाव पड़ेगा।
बता दें कि पाकिस्तान को पहली बार जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था। पाकिस्तान बार-बार लिस्ट से बाहर आने के लिए प्रयास करता रहा है लेकिन अभी तक नाकाम ही रहा है।


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