उप-महाद्वीप में शांति की वकालत करते हुए पाकिस्तान (Pakistan) के सेनाध्यक्ष जनरल क़मर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) ने गुरुवार को कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के लिए “अतीत को दफनाने और आगे बढ़ने” का समय है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस्लामाबाद सुरक्षा संवाद को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष बाजवा ने कहा कि भारत-पाक का मज़बूत संबंध पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करके दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को अनलॉक करने की चाभी है।
उन्होंने कहा कश्मीर का मुद्दा हमारे बीच विवादों के केंद्र में है। यह समझना बहुत ज़रूरी है कि शांतिपूर्ण तरीकों के माध्यम से कश्मीर विवाद का समाधान हमारे रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए बेहद ज़रूरी है साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी (भारत) को विशेष रूप से कश्मीर में एक अनुकूल वातावरण बनाना होगा।
बता दें कि भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है। भारत का कहना था कि पकिस्तान में आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की ज़िम्मेदारी खुद पकिस्तान पर ही है।
भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि “वार्ता और आतंक” एक साथ नहीं चल सकते हैं और इस्लामाबाद को भारत पर विभिन्न हमलों को शुरू करने के लिए जिम्मेदार आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए कहा है।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, बाजवा की टिप्पणी के एक दिन बाद कहा था कि पाकिस्तान शांति लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत को संबंधों को सामान्य बनाने के लिए पहला कदम उठाना होगा। खान ने कहा था कि मध्य एशियाई क्षेत्र के लिए सीधा रास्ता होना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए होगा लाभकारी होगा क्योंकि मध्य एशिया तेल और गैस से समृद्ध है।
कोल्ड वार के संदर्भों ने जनरल बाजवा ने कहा कि कुछ देशों के बीच टूटे हुए संबंध देश के अंदर शीत युद्ध का कारण बनते हैं और ये दक्षिण एशिया में कुछ अनसुलझे मुद्दे हैं जो पूरे क्षेत्र को गरीबी और अविकसितता में वापस खींच रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह जानकर दुख होता है कि आज भी ये [दक्षिण एशिया] व्यापार, बुनियादी ढांचे, जल और ऊर्जा सहयोग के मामले में दुनिया के सबसे कम एकीकृत क्षेत्रों में से एक है।”
हालांकि, प्रधान मंत्री खान और जनरल बाजवा दोनों ने भारत द्वारा उठाए जाने वाले न्यूनतम कदमों को स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन पाकिस्तान के कई विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर में कुछ सकारात्मक उपाय बातचीत में प्रवेश करने या सामान्य राजनयिक संबंधों को बहाल करने से पहले पाकिस्तान सरकार पर दबाव कम कर सकते हैं।
बाजवा ने गरीबी पर बातचीत करते हुए कहा कि इस गरीबी का कारण क्षेत्रीय तनाव है जिसने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और एकीकरण में बाधा बना रखी है। उन्होंने ये भी कहा, “गरीब होने के बावजूद, हम अपना बहुत सारा पैसा रक्षा पर खर्च करते हैं,
पड़ोसी देश में स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा 2016 में पठानकोट वायुसेना अड्डे पर आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध को फीका किया उसके बाद भारतीय सेना के कैंप सहित एक के बाद एक हमलों ने रिश्ते को और खराब कर दिया।
पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान के अंदर एक जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को भारत के युद्ध विमानों द्वारा निशाना बनाए जाने के बाद संबंध और बिगड़ दिया, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे।


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