अमेरिका एहसान फरामोश, पाकिस्तान ने खेला विक्टिम कार्ड

अमेरिका एहसान फरामोश, पाकिस्तान ने खेला विक्टिम कार्ड संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अमेरिका को एहसान फरामोश बताया है।

अमेरिका को एहसान फरामोश बताते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा के पाकिस्तान अमेरिकी कृतघ्नता और अंतरराष्ट्रीय दोहरेपन का शिकार हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में शुक्रवार को इमरान खान का रिकॉर्डेड भाषण प्रसारित किया गया जिसमें उन्होंने वैश्विक इस्लामो फोबिया, जलवायु परिवर्तन और विशिष्ट भ्रष्ट वर्गों द्वारा विकासशील देशों में मचाई जा रही लूट जैसे कई विषयों पर बात की।

उन्होंने विकासशील देशों में विशिष्ट वर्ग द्वारा जारी लूटपाट को ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत के साथ किए गए बर्ताव से जोड़कर समझाने का प्रयास किया।

इमरान खान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को हिंदू राष्ट्रवादी एवं फासीवादी सरकार बताया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अमेरिका को लेकर पाकिस्तान के दुखों और ग़ुस्से को जाहिर करते हुए कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों का साथ छोड़ दिया है।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति के लिए अमेरिका और यूरोप के कुछ नेता पाकिस्तान की कई घटनाओं को जिम्मेदार बता रहे हैं। मैं इस मंच से उन सबको बताना चाहता हूं कि अफगानिस्तान के अलावा जिसको सबसे अधिक कष्ट सहना पड़ रहा है पाकिस्तान है ।

इमरान खान ने कहा कि हालांकि 9/11 के बाद आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में हमने अमेरिका का साथ दिया है। अमेरिका ने 1990 में हम पर प्रतिबंध लगा दिए थे लेकिन 9/11 के बाद उसने हमसे फिर साथ मांगा। हमने अमेरिका की हर प्रकार सहायता की।

80,000 पाकिस्तानी लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। साथ ही देश में आंतरिक संघर्ष ओर असंतोष पनपा , अमेरिका ने पाकिस्तान में कई स्थानों पर ड्रोन हमले किए। इन सबके बावजूद अमेरिका हमारा एहसान नहीं मानता और हमें बीच मझधार में छोड़ दिया।

इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान को इतना बलिदान करने के बाद भी तारीफ़ और अहसान के बजाय सिर्फ आरोप और इलज़ाम मिले हैं।

बता दें कि पाकिस्तान ने अगस्त में संयुक्त राष्ट्र संघ से मांग की थी वह अफ़ग़ानिस्तान से जुड़े मुद्दों पर एक विशेष बैठक बुलाए लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान की नीयत पर संदेह करते हुए इस मांग को ख़ारिज कर दिया था।

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