भारत-नेपाल बॉर्डर पर नेपाल की जेलों से भागे क़ैदियों की धड़ पकड़ जारी
नेपाल में हाल के दिनों में भड़के भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। सोशल मीडिया प्रतिबंध और सरकार की नीतियों के खिलाफ शुरू हुए यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक रूप लेता चला गया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, राजनीतिक दलों के दफ्तरों और यहां तक कि वरिष्ठ नेताओं के घरों में भी आग लगा दी। प्रधानमंत्री के.पी. ओली का निजी आवास भी इस आगजनी का शिकार हुआ। पुलिस कार्रवाई और हिंसा में अब तक 31 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। भारी दबाव और लगातार बढ़ते प्रदर्शनों के चलते मंगलवार को प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन तब तक स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी।
इसी अराजकता का फायदा उठाते हुए नेपाल की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों ने बड़े पैमाने पर फरारी की। रिपोर्टों के अनुसार देशभर की जेलों से 13,000 से अधिक कैदी भाग निकले। कई जगहों पर कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें हुईं। विशेष रूप से बांके जिले के बैजनाथ नगरपालिका के नौबस्ता बाल सुधार गृह में मंगलवार रात हुई हिंसा में पांच नाबालिग कैदी मारे गए। कैदियों ने सुरक्षाकर्मियों के हथियार छीनने की कोशिश की, जिसके बाद टकराव और तेज हो गया।
इस व्यापक फरारी के बीच सबसे बड़ी चिंता अब भारत-नेपाल सीमा पर दिखाई दे रही है। कई कैदी भारत में दाखिल होने की कोशिश करते हुए पकड़े गए हैं। सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने अब तक उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से 60 फरार कैदियों को गिरफ्तार किया है। SSB अधिकारियों ने बताया है कि यह संख्या लगातार बढ़ रही है और सतर्कता को और कड़ा कर दिया गया है। भारत की सीमा चौकियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि कोई भी फरार अपराधी अंदर प्रवेश न कर सके।
नेपाल में हालात को काबू में करने के लिए सेना ने बुधवार को देशव्यापी कर्फ्यू और प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए। सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को सोमवार रात ही हटा लिया गया था, लेकिन जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग प्रधानमंत्री का इस्तीफा था, जो पूरा होने के बावजूद हिंसा और अराजकता पर अंकुश नहीं लग सका। अब नेपाल में अंतरिम सरकार बनाने की तैयारी चल रही है और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम इसके प्रमुख के रूप में सामने आया है।
नेपाल की मौजूदा स्थिति यह दर्शाती है कि भ्रष्टाचार और असंतोष की आग ने देश को राजनीतिक और सामाजिक संकट में धकेल दिया है। सरकार के खिलाफ युवाओं का असंतोष, सोशल मीडिया पर रोक और पुलिसिया दमन ने मिलकर एक ऐसा विस्फोटक माहौल तैयार किया, जिसने न केवल सत्ता परिवर्तन कराया बल्कि जेलों से हजारों कैदियों को भागने का अवसर भी दे दिया। इन फरार कैदियों की उपस्थिति अब भारत की सुरक्षा के लिए नई चुनौती बन चुकी है। कुल मिलाकर नेपाल फिलहाल उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, जहां राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा संकट दोनों ही गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं।


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