कम उम्र लड़कियों की शादी के मामले में बांग्लादेश सबसे आगे

कम उम्र लड़कियों की शादी के मामले में बांग्लादेश सबसे आगे
बांग्लादेश, जहाँ लड़कियों के स्कूलों में दाख़िले के मामले में वह दक्षिण एशिया में सबसे आगे है, वहीं कम उम्र में लड़कियों की शादी के मामलों में भी सबसे ऊपर है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा पेश किए गए ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, दक्षिण एशिया में कम उम्र में लड़कियों की शादी का चलन बढ़ता जा रहा है। इस क्षेत्र में बांग्लादेश वह देश है जहाँ सबसे ज़्यादा लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है।
यह बात ख़ास तौर पर ध्यान देने योग्य है कि इस रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान का नाम भी शामिल है, और भारत में भी एक बड़ा अनुपात ऐसा है जो कम उम्र में शादी की ओर इशारा करता है।
संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या कोष संस्था (UNFPA) की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक़, दक्षिण एशिया के देशों में बांग्लादेश ऐसा देश है जहाँ 51 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है। रिपोर्ट में यह खुलासा भी हुआ है कि बांग्लादेश में हर दो में से एक लड़की बालिग़ होने से पहले ही शादी के बंधन में बंध जाती है।
याद दिला दें कि अफ़ग़ानिस्तान एक ऐसा देश है जहाँ के लोग पारंपरिक जीवन शैली के अभ्यस्त हैं और आधुनिक समाज के साथ पूरी तरह से सामंजस्य नहीं बना पाए हैं, फिर भी वहाँ कम उम्र में लड़कियों की शादी का प्रतिशत सिर्फ़ 29 फ़ीसद है।
आश्चर्य की बात यह है कि भारत जैसे विकासशील देश में, जहाँ महिलाओं के लिए कई सुविधाएँ मौजूद हैं और लड़कियाँ हर क्षेत्र में लड़कों को टक्कर दे रही हैं, वहाँ 23 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले कर दी जाती है। जबकि भारत सरकार ने हाल ही में लड़कियों के लिए न्यूनतम विवाह आयु 21 वर्ष कर दी है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस रिपोर्ट में पाकिस्तान को लड़कियों की कम उम्र में शादी के मामले में भारत से भी पीछे दिखाया गया है। पाकिस्तान में सिर्फ़ 18 प्रतिशत लड़कियों की शादी उनके बालिग़ होने से पहले कर दी जाती है।
ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि ये चारों देश, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान, आपस में पड़ोसी हैं और उनकी सीमाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। यहाँ की संस्कृति, रहन-सहन और सामाजिक ढाँचा काफी हद तक एक जैसा है, इसके बावजूद लड़कियों की शादी के मामलों में यह अंतर हैरान करता है।
बांग्लादेश के राष्ट्रीय सांख्यिकी विभाग के अनुसार, 2020 के बाद से हर साल कम उम्र में लड़कियों की शादी की दर में वृद्धि हुई है। कोरोना लॉकडाउन के चलते गरीबी बढ़ी, शिक्षा व्यवस्था बाधित हुई और घरेलू दबाव में भी इज़ाफा हुआ। नतीजतन, कई माता-पिता अपनी बेटियों की जल्दी शादी को आर्थिक बोझ से छुटकारे का हल मानने लगे। यह बात भी दिलचस्प है कि, बांग्लादेश दक्षिण एशिया में सेकेंडरी शिक्षा में लड़कियों के नामांकन के मामले में सबसे आगे है, फिर भी वहाँ कम उम्र में शादी की दर सबसे ज़्यादा है।

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