व्हाइट हाउस ने ट्रंप की ग़ाज़ा पर क़ब्ज़े की योजना को खारिज किया
व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग़ाज़ा पर क़ब्ज़ा करने या वहां अमेरिकी सैनिकों की तैनाती के लिए किसी भी तरह के फंड देने का कोई वादा नहीं किया है।
ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि राष्ट्रपति ट्रंप ग़ाज़ा पर अनिश्चितकालीन क़ब्ज़े की बात नहीं कर रहे हैं, जैसा कि मंगलवार को उन्होंने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के दौरे के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संकेत दिया था।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “राष्ट्रपति ने ग़ाज़ा में सैनिक भेजने का कोई वादा नहीं किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए कोई धनराशि खर्च नहीं करेगा। उनकी सरकार इस क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिए वहां के साझेदारों के साथ मिलकर काम करेगी।
लेविट ने इस प्रस्ताव को ट्रंप की “बॉक्स के बाहर सोचने की क्षमता” के रूप में पेश किया, जिसका उद्देश्य पश्चिम एशिया में “स्थायी शांति” लाना था।
जब उनसे पूछा गया कि क्या ट्रंप वास्तव में ग़ाज़ा में अमेरिकी सैनिक भेजने की योजना बना रहे हैं, तो उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ इतना कह रही हूं कि राष्ट्रपति ने अब तक ऐसा कोई वादा नहीं किया है। उन्होंने इसकी प्रतिबद्धता नहीं जताई है।”
नेतन्याहू के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने प्रस्ताव दिया था कि, “अमेरिका ग़ाज़ा पट्टी पर क़ब्ज़ा कर लेगा और वहां की स्थिति को नियंत्रित करेगा। हम वहां के विस्फोटक और अन्य खतरनाक हथियारों को हटाएंगे, क्षेत्र को समतल करेंगे, ध्वस्त इमारतों को हटा देंगे और आर्थिक विकास की योजना बनाएंगे, जिससे वहां के लोगों को अनगिनत नौकरियां और आवास मिल सकें।”
ट्रंप ने यह भी कहा कि ग़ाज़ा इस समय “रहने लायक नहीं है” और 7 अक्टूबर के हमलों के बाद इज़रायली सैन्य कार्रवाई के कारण यह “खंडहर” बन चुका है। उन्होंने सुझाव दिया कि ग़ाज़ा के लोगों को अस्थायी रूप से मिस्र और जॉर्डन जैसे पड़ोसी देशों में भेजा जाना चाहिए, जबकि वहां पुनर्निर्माण किया जाए, ताकि यह “पश्चिम एशिया का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल” बन सके।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ग्वाटेमाला में पत्रकारों को बताया कि ट्रंप केवल ग़ाज़ा को खाली कराने और पुनर्निर्माण की बात कर रहे हैं, न कि उस पर स्थायी क़ब्ज़े की।
इसके अलावा, पश्चिम एशिया के लिए अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने रिपब्लिकन सीनेटरों के साथ एक बंद कमरे की बैठक में कहा कि “ट्रंप किसी अमेरिकी सैनिक को ज़मीन पर नहीं भेजना चाहते और ग़ज़ा पर अमेरिकी डॉलर खर्च नहीं करना चाहते।” यह जानकारी मिसौरी के सीनेटर जोश हॉली ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दी।

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