संदेशखाली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव में कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान बीजेपी सांसद सुकांत मजूमदार के जख्मी होने की उनकी शिकायत पर लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के समक्ष चल रही कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद राज्य के आला अधिकारियों पर कोई भी कार्यवाही करने पर रोक लगाते हुए लोक सभा सचिवालय, पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह के भीतर उनका जवाब मांगा।
अधिकारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि मजूमदार द्वारा पुलिस अत्याचार की शिकायत झूठी थी और वीडियो में भाजपा समर्थकों को पुलिस अधिकारियों पर हमला करते हुए दिखाया गया है। उनका तर्क था कि अधिकारी मौके पर मौजूद ही नहीं थे।
वहीं, जवाब में लोकसभा सचिवालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता देवाशीष भरूखा ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों को आरोपी के रूप में नहीं बुलाया गया था और तथ्यों का पता लगाने के लिए नोटिस जारी किए गए थे।सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर वापसी योग्य नोटिस जारी करते हुए राज्य के अधिकारियों के खिलाफ लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नोटिस के आधार पर आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
पिछले गुरुवार को उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली में महिलाओं के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न और हिंसा को लेकर प्रदर्शन कर रहे पुलिस और भाजपा समर्थकों के बीच झड़प के बीच फंसने के बाद मजूमदार बीमार पड़ गए। मजूमदार को अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ा।
बता दें कि, पिछले बुधवार को पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित संदेशखाली जाने से रोके जाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की पुलिस कर्मियों से झड़प हो गई थी, जिसमें मजूमदार को चोटें आईं थीं। मजूमदार को अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ा था। इस पर संज्ञान लेते हुए विशेषाधिकार समिति ने दो आईएएस और तीन आईपीएस अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया था। मजूमदार की शिकायत के आधार पर लोकसभा अध्यक्ष ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया था।