कुछ लोग मस्जिदों पर हमला कर “अपनी असलियत” उजागर कर रहे हैं: ब्रिटिश प्रधानमंत्री
ब्रिटेन: चाकूधारी हमले में 3 बच्चों की हत्या के बाद मुसलमानों के खिलाफ दक्षिणपंथी कट्टरपंथी तत्वों की घृणित अभियान के परिणामस्वरूप देश में मुसलमानों के खिलाफ और मस्जिदों के बाहर हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए लंदन में पुलिस की विशेष इकाई बनाई गई है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कियर स्टारमर ने मुसलमानों को सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
बच्चों की हत्या के बाद दक्षिणपंथी गतिविधियों से निपटने के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री कियर स्टारमर ने घोषणा की कि दक्षिणपंथी लोग मस्जिदों पर हमला कर “अपनी असलियत” उजागर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अशांति फैलाने में “गुंडा तत्व शामिल” हैं। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि “देश भर की पुलिस फोर्स हिंसक घटनाओं से एकजुट होकर निपटेंगी, मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा के लिए हर वह कदम उठाया जाएगा जो आवश्यक हो।”
पीएम स्टारमर का कहना था कि बड़े पैमाने पर अशांति कुछ मूर्ख व्यक्तियों के कृत्य से फैली है। सड़कों पर शांति और व्यवस्था खराब करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अनुचित गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की आवाजाही सीमित करने के लिए खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक का सहारा लिया जाएगा।
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री कियर स्टारमर ने दक्षिणपंथी राजनीति की भी निंदा की और कहा कि साउथपोर्ट हमले के पीड़ितों का दुख अकल्पनीय है, यह स्पष्ट है कि अशांति ऑनलाइन प्रचार से फैली। प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी जिम्मेदारी भी याद दिलाई। इससे पहले मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन ने अपील की थी कि, मुस्लिम समुदाय और मस्जिदों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाएं।
इस बीच, ब्रिटेन में साउथपोर्ट घटना के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री कियर स्टारमर के निर्देश पर विशेष पुलिस इकाइयों की स्थापना की घोषणा की गई है, जबकि टिकटॉक पर झूठी और घृणित जानकारी साझा करने वाले खातों की भी पहचान की गई है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया कंपनियों और गलत जानकारी फैलाने वालों को आड़े हाथों लिया और कहा कि ऑनलाइन प्रचार से अशांति फैली, सोशल मीडिया कंपनियां जिम्मेदारी का प्रदर्शन करें।
याद रहे कि साउथपोर्ट में एक चाकूधारी युवक ने बच्चों के डांस प्रोग्राम में तीन बच्चों की हत्या कर दी थी। इसी को आधार बनाकर सोशल मीडिया पर मुसलमानों के खिलाफ घृणित अभियान चलाया जा रहा है और कट्टरपंथियों को मुसलमानों पर हमले के लिए उकसाया जा रहा है।