पीएम मोदी देश को बताएं कि वह किन विषयों पर एक क़ानून चाहते हैं: कपिल सिब्बल
नई दिल्ली: देश में इस समय समान नागरिक संहिता को लेकर बहस चल रही है। जहां कई विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं, वहीं आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और उद्धव गुट की शिवसेना ने इसका समर्थन किया है। इस बीच राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। कपिल सिब्बल ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि यूसीसी (समान नागरिक संहिता) का प्रस्ताव क्या है और वह किन मुद्दों पर एक क़ानून चाहते हैं?
सिब्बल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह इसे लागू करेंगे, लेकिन वह हमें बताएं कि क्या लागू करना है?’ विपक्ष भी इसी बहस में जुट गया है। जब तक कोई प्रस्ताव सामने नहीं आएगा, बहस कैसे शुरू होगी? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूसीसी लागू होना चाहिए, लेकिन यह नहीं बताया कि इसे किस पर लागू होना चाहिए? क्या लागू होना चाहिए? यह तो प्रधानमंत्री मोदी को बताना चाहिए लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं।
राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने आगे कहा कि जब तक इस पर कोई प्रस्ताव सामने नहीं आता तब तक चर्चा की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड का सिविल कोड पूरे देश में लागू नहीं किया जा सकता। इस कानून के बारे में लोगों को पूरी जानकारी नहीं है लेकिन इस पर बहस हो रही है।
गौरतलब है कि भोपाल में यूसीसी पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद सिब्बल ने सवाल उठाया था कि उनका प्रस्ताव कितना समान है। और क्या इसके दायरे में हिंदू, आदिवासी और नॉर्थ ईस्ट सभी आते हैं? इसके अलावा सिब्बल ने सवाल उठाया था कि 9 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी को इसकी याद क्यों आ रही है?
पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की जोरदार वकालत तो कर दी है लेकिन खुद भाजपा के सहयोगी दलों में भी इस पर गंभीर मतभेद है। एनडीए में भाजपा और कई दल पार्टनर हैं। लेकिन कुछ की राय भाजपा और पीएम मोदी से बिल्कुल अलग है।
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने यूसीसी को भारत के विचार (आइडिया ऑफ इंडिया) के खिलाफ बताया है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) प्रमुख संगमा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विविधता भारत की ताकत है और उनकी पार्टी को लगता है कि यूसीसी अपने मौजूदा स्वरूप में इस विचार के खिलाफ है।
हालाँकि, एनपीपी प्रमुख ने यह भी कहा कि यूसीसी ड्राफ्ट को देखे बिना विवरण में जाना मुश्किल है। क्योंकि इसका ड्राफ्ट अभी तक सामने नहीं आया है। इसलिए क्या बदलाव होंगे, कोई नहीं जानता है। उन्होंने कहा, “एनपीपी को लगता है कि यूसीसी भारत के एक विविध राष्ट्र होने के विचार के खिलाफ है। भारत की विविधता हमारी ताकत और पहचान है।”