नेतन्याहू शांति वार्ता और युद्ध-विराम समझौते में सबसे बड़ी बाधा: हमास

नेतन्याहू शांति वार्ता और युद्ध-विराम समझौते में सबसे बड़ी बाधा: हमास 

ग़ाज़ा पट्टी: हमास के राजनीतिक ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य इज़्ज़त अल-रिशक ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि हमास की सभी मांगें स्पष्ट और स्थायी हैं, और नए किसी मांग को लेकर फैलाई जा रही अफवाहें पूरी तरह निराधार हैं। अल-रिशक ने इज़रायल और अमेरिकी मीडिया पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर नए मांगों की झूठी अफवाहें फैला रहे हैं ताकि फिलिस्तीनियों के खिलाफ जारी इज़रायली आक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी से बचा जा सके और वार्ता प्रक्रिया को बाधित किया जा सके।

हमास की मांगें स्पष्ट और स्थायी
अल-रिशक ने अपने बयान में कहा कि हमास की प्रमुख मांग यह है कि ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायल की तरफ से की जा रही हिंसा और हमलों को स्थायी रूप से रोका जाए। इसके अलावा, इज़रायली सेना को ग़ाज़ा से पूरी तरह से वापस बुलाने की भी मांग की जा रही है। अल-रिशक ने कहा कि इन मांगों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और हमास अपने इन्हीं मूल सिद्धांतों पर कायम है। उन्होंने चेताया कि अगर इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव नहीं डाला गया, तो इज़रायली कैदियों की रिहाई संभव नहीं होगी।

नेतन्याहू और उनकी सरकार समझौते में सबसे बड़ी बाधा
हमास नेता ने सीधे तौर पर इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर वार्ता और शांति समझौते में बाधा डालने का आरोप लगाया। अल-रिशक ने कहा कि नेतन्याहू और उनकी “नाजी सरकार” ही समझौते की राह में सबसे बड़ी रुकावट हैं। उन्होंने दावा किया कि नेतन्याहू और उनकी सरकार हमास द्वारा उठाई गई मांगों को मानने की बजाय नई-नई शर्तें जोड़कर वार्ता को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं।

अल-रिशक ने कहा कि नेतन्याहू सरकार की ये नई शर्तें सीधे तौर पर युद्ध-विराम समझौते के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि नेतन्याहू की सरकार हमास की मांगों को मानने के बजाय अपनी नई शर्तें थोपने की कोशिश कर रही है, जिससे वार्ता में अवरोध पैदा हो रहा है।

अमेरिका का अंतरिम समझौते पर पुनर्विचार
इस बीच, अमेरिकी अधिकारियों ने भी संकेत दिए हैं कि वाशिंगटन अब फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच संभावित अंतरिम समझौते पर अपने अगले कदमों का पुनर्मूल्यांकन कर रहा है। हाल ही में दोनों पक्षों के बीच बातचीत में इज़रायल में उम्रकैद की सजा काट रहे फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई पर सैद्धांतिक सहमति बनी थी। इसके बदले में, हमास ने इज़रायली सैनिकों की रिहाई की बात कही थी।

हालांकि, इज़रायली सरकार ने ग़ाज़ा से सटे फिलाडेल्फिया कॉरिडोर (जिसे सालाह अल-दीन कॉरिडोर भी कहा जाता है) पर अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखने की शर्त पर जोर दिया है, जिससे वार्ता में जटिलताएं पैदा हो रही हैं। हमास ने पूरी स्पष्टता के साथ नए मांगों की अफवाहों को खारिज किया है और कहा है कि उनकी मांगें स्थायी और स्पष्ट हैं। उन्होंने इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को शांति वार्ता और युद्ध-विराम समझौते में सबसे बड़ी बाधा बताया है। इज़रायल की ओर से नई शर्तों के जुड़ने से वार्ता में कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं, वहीं अमेरिका भी अपने कदमों का पुनर्विचार कर रहा है।

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