ग़ाज़ा नरसंहार की जांच की मांग पर नेतन्याहू ने पोप फ्रांसिस की आलोचना की
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ग़ाज़ा में हो रहे कथित नरसंहार की जांच की मांग पर वेटिकन के प्रमुख पोप फ्रांसिस की तीखी आलोचना की। नेतन्याहू ने कनेसेट (इज़रायल की संसद) की विदेश मामलों और रक्षा समिति में अपने संबोधन के दौरान पोप की टिप्पणी को “शर्मनाक और भ्रामक” करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी टिप्पणियां न केवल इज़रायल को बदनाम करने का प्रयास हैं, बल्कि यह उन सैनिकों के बलिदान को अपमानित करती हैं, जो इज़रायल की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं।
पोप फ्रांसिस का बयान
यह विवाद तब शुरू हुआ जब पोप फ्रांसिस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह आग्रह किया कि वे ग़ाज़ा में हो रही घटनाओं की जांच करें। पोप ने यह सवाल उठाया कि क्या इज़रायल के सैन्य अभियानों का परिणाम फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ नरसंहार के रूप में देखा जा सकता है। उनके इस बयान को पिछले एक साल से जारी युद्ध और इज़रायल की सैन्य कार्रवाइयों पर सबसे स्पष्ट और सशक्त आलोचना माना जा रहा है।
पोप ने अपनी नई पुस्तक “आशा कभी निराश नहीं करती”, जो अगले सप्ताह प्रकाशित होगी, में इस मुद्दे का जिक्र किया है। इटली के एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित इस पुस्तक के अंश में पोप ने लिखा कि विशेषज्ञों के अनुसार ग़ाज़ा में जो कुछ हो रहा है, वह “नरसंहार के बराबर” है। इससे पहले भी पोप ने गाजा और लेबनान में इज़रायल के हमलों को “अनैतिक और असंगत” बताया था। उन्होंने इज़रायली सेना पर युद्ध के अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया था।
ग़ाज़ा में जारी हिंसा और मानवाधिकार हनन
इज़रायल की ओर से गाजा में अब तक के सबसे भीषण सैन्य अभियानों में 44,000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इन हमलों ने न केवल ग़ाज़ा पट्टी को खंडहर में बदल दिया है, बल्कि लाखों लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर किया है। इज़रायल द्वारा लगाए गए आर्थिक और मानवीय नाकाबंदी के कारण ग़ाज़ा में लाखों लोग भोजन, पानी और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
पोप फ्रांसिस के बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इज़रायल की सैन्य कार्रवाइयों पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है। मानवाधिकार संगठनों और कुछ देशों ने भी ग़ाज़ा में हो रहे मानवीय संकट की कड़ी निंदा की है। हालांकि, इज़रायल ने अपने बचाव में कहा है कि उसके सैन्य अभियान “आतंकवाद के खात्मे” के लिए हैं और वह केवल अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा कर रहा है।
नेतन्याहू का रुख
नेतन्याहू ने पोप फ्रांसिस के बयान को “झूठा” बताते हुए इसे इज़रायल विरोधी प्रचार का हिस्सा करार दिया। उन्होंने कहा कि इज़रायल ने हमेशा युद्ध के नियमों का पालन किया है और ग़ाज़ा में सैन्य अभियान केवल हमास जैसे संगठनों के खिलाफ थे। हालांकि नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षामंत्री योआव गैलेंट को अंतराष्ट्रीय अदालत ने ग़ाज़ा नरसंहार का आरोपी क़रार दिया है। नेतन्याहू और गैलेंट को युद्ध अपराधी घोषित करते हुए अदालत ने गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है।