संयुक्त राष्ट्र महासभा में मुस्लिम देशों ने नेतन्याहू का बहिष्कार किया 

संयुक्त राष्ट्र महासभा में मुस्लिम देशों ने नेतन्याहू का बहिष्कार किया 

संयुक्त राष्ट्र महासभा में इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भाषण दिया। उनके भाषण के दौरान अरब और मुस्लिम देशों ने सामूहिक रूप से उनका बहिष्कार करने का फैसला किया। रिपोर्टों के अनुसार، नेतन्याहू के भाषण के दौरान मुस्लिम देशों के प्रतिनिधि सभा हॉल से बाहर चले गए। नेतन्याहू ने “ग्रेटर इज़रायल” योजना की बात की थी, जिसे मुस्लिम देशों के नेताओं ने अरब देशों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ख़तरा बताया। महासभा में आज दो सत्र हुए, पहले सत्र में 15 वक्ताओं ने और दूसरे सत्र में 10 वक्ताओं ने संबोधन किया।

इज़रायलफ़िलिस्तीन संकट: नेतन्याहू को अमेरिकी योजना क्यों मंज़ूर नहीं?
अमेरिका की 21 बिंदुओं वाली योजना, लेकिन इज़रायली प्रधानमंत्री की हठधर्मी बरकरार है। उन्हें अपने बंधकों को बचाने की बजाय उनके बहाने नेतन्याहू  हमास और फिलिस्तीनी अथॉरिटी का पूरी तरह सफ़ाया करना चाहते हैं।

अमेरिका के विशेष दूत फॉर मिडिल ईस्ट, स्टीव विटकॉफ़ ने खुलासा किया कि, राष्ट्रपति ट्रंप ने 21 बिंदुओं वाली शांति योजना पेश की है, जिस पर आने वाले दिनों में प्रगति की उम्मीद है। यह योजना मंगलवार को न्यूयॉर्क में अरब और इस्लामी देशों के कुछ नेताओं को भी दिखाई गई थी।

योजना के मुख्य बिंदुओं में शामिल हैं:
. सभी शेष क़ैदियों की रिहाई

. स्थायी युद्ध-विराम और संघर्षविराम का लागू होना

. ग़ाज़ा से इज़रायली सेना का क्रमिक वापसी

. ऐसा प्रशासनिक ढांचा बनाना जिसमें हमास शामिल न हो

. फिलिस्तीनियों और अरब–इस्लामी देशों के अधिकारियों से मिलकर सुरक्षा बल का गठन

. अरब देशों की आर्थिक मदद से ग़ज़ा का पुनर्निर्माण

. फिलिस्तीनी अथॉरिटी को सीमित प्रशासनिक भूमिका देना

लेकिन नेतन्याहू इस योजना के कई पहलुओं से असहमत हैं। उनका सबसे बड़ा आपत्ति यह है कि, इसमें ग़ाज़ा के पूर्ण रूप से निरस्त्रीकरण की शर्त तुरंत शामिल नहीं की गई है बल्कि, युद्ध ख़त्म होने के बाद रखी गई है। इसी तरह वे फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी को किसी भी तरह की प्रशासनिक भूमिका देने के सख़्त विरोधी हैं।

नेतन्याहू सरकार की ग़ाज़ा में युद्ध खत्म करने के लिए पाँच शर्तें:
1- हमास का पूर्ण निरस्त्रीकरण

2- सभी क़ैदियों की वापसी (ज़िंदा या मृत)

3- ग़ाज़ा से सभी हथियारों का ख़ात्मा

4- इज़रायल की सुरक्षा नियंत्रण का बने रहना

5- ऐसी नागरिक प्रशासन की स्थापना जिसमें न तो हमास हो और न ही फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी

नेतन्याहू सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप से अपनी चौथी मुलाक़ात करेंगे। रवाना होने से पहले उन्होंने कहा था कि वह इज़रायली जीत से पैदा हुए “महान अवसरों” और युद्ध के उद्देश्यों की पूर्ति पर चर्चा करेंगे। अमेरिकी दबाव और अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बीच अब यह सवाल और तेज़ हो गया है कि क्या इज़रायल ट्रंप की शांति योजना को स्वीकार करेगा या नेतन्याहू अपने कठोर रुख़ पर डटे रहेंगे।

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