अगर ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति चुने गए तो, कीव पर पुतिन का नियंत्रण होगा: हैरिस
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने सोमवार को मिशिगन में आयोजित एक चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अगर ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नियंत्रण हो जाएगा। हैरिस का यह बयान अमेरिका की विदेश नीति और यूक्रेन-रूस युद्ध के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर जब अमेरिका यूक्रेन को रूसी आक्रमण के खिलाफ समर्थन देने वाला प्रमुख देश बना हुआ है।
डोनाल्ड ट्रम्प की आलोचना
कमला हैरिस ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि ट्रम्प यूक्रेन को रूसी आक्रमण के सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर देंगे। उन्होंने कहा कि ट्रम्प यदि सत्ता में वापस आते हैं, तो वे यूक्रेन को उसकी संप्रभुता के उल्लंघन के बावजूद आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि अगर ट्रम्प राष्ट्रपति बने, तो व्लादिमीर पुतिन कीव में अपना प्रभुत्व बनाए रखेंगे, जिसका अर्थ होगा कि यूक्रेन की स्थिति और कमजोर हो जाएगी।
ट्रम्प चापलूसों और तानाशाहों की चालों में फंस जाते हैं
कमला हैरिस ने अपने भाषण में यह भी कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प आसानी से चापलूसों और तानाशाहों की चालों में फंस जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रम्प अंतरराष्ट्रीय तानाशाहों और निरंकुश नेताओं द्वारा उनके चतुर तरीकों से धोखा खा जाते हैं और उन पर नियंत्रण बनाए रखने में असफल रहते हैं। उनका इशारा रूस के राष्ट्रपति पुतिन सहित अन्य वैश्विक नेताओं की तरफ था, जो अमेरिकी नीति पर असर डालने का प्रयास कर सकते हैं।
2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प और हैरिस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। सितंबर में हुई टीवी बहस में भी कमला हैरिस ने ट्रम्प पर इसी तरह के आरोप लगाए थे। यह चुनाव अमेरिका की विदेश नीति के भविष्य के लिए निर्णायक माना जा रहा है, क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध जैसे बड़े मुद्दे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
रूस किसी भी अमेरिकी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगा
रूस की ओर से, क्रेमलिन ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी अमेरिकी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगा। हालांकि, रूस और अमेरिका के बीच संबंधों की स्थिति को देखते हुए, रूस की नीतियों और अमेरिकी चुनाव पर उसके संभावित प्रभाव को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस प्रकार, यह बयान न केवल चुनावी राजनीति का हिस्सा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के भविष्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।