डर रहा हूँ, क्योंकि देश में कभी भी गृहयुद्ध हो सकता है: सपा विधायक
गाज़ीपुर जिले में रविवार को संविधान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक और सांसद ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में गाज़ीपुर विधानसभा के समाजवादी पार्टी के विधायक जय किशन साहू ने भी भाग लिया और अपनी बातें रखीं। उन्होंने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का गहरा डर है कि देश में किसी भी समय गृहयुद्ध हो सकता है। उनका यह बयान उस समय आया जब देश में राजनीतिक तनाव और सामाजिक ध्रुवीकरण की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
जय किशन साहू ने इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “जो लोग खुद को सबसे बड़े देशभक्त मानते हैं, उन्हीं लोगों ने स्वतंत्रता के 65 साल तक भारत के तिरंगे झंडे का सम्मान नहीं किया और न ही उसे लहराया। आज वही लोग सबसे बड़े देशभक्त बनने का दावा कर रहे हैं।” उनका यह बयान RSS के इतिहास को लेकर था, जिन पर अक्सर राष्ट्रवाद और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन जय किशन साहू का कहना था कि यह संगठन स्वतंत्रता संग्राम में कोई खास योगदान नहीं था।
साहू ने आगे कहा कि RSS की स्थापना 1925 में नागपुर में हुई थी और 1947 तक यह संगठन काफ़ी मजबूत हो चुका था, लेकिन इस संगठन ने स्वतंत्रता संग्राम में एक भी कदम नहीं उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आज यह लोग यह कहते हैं कि संविधान को नहीं बदलने देंगे, तो सवाल यह उठता है कि फिर हाल ही में जिन विधायकों और बिलों के माध्यम से संविधान में बदलाव किया गया, वह क्या था?
उन्होंने बिना संभल घटना का नाम लिए हुए कहा, “किसी एक महल को जला दिया गया था,” और फिर सवाल उठाया कि देश में अगर भाई-भाई को दुश्मन समझने की मानसिकता फैलने लगे, तो इससे समाज में डर और घबराहट का माहौल उत्पन्न होगा। उनका यह बयान उस समय सामने आया जब देशभर में धार्मिक और सामाजिक तनाव की घटनाएँ बढ़ रही हैं और विभिन्न राज्यों में सांप्रदायिक झगड़े और हिंसा की घटनाएँ हो रही हैं।
साहू ने यह भी कहा कि अगर समाज में इस तरह की मनोवृत्तियाँ बनी रहीं, तो देश के भीतर एक ऐसे वातावरण का निर्माण हो सकता है, जिसमें नागरिकों का एक-दूसरे पर विश्वास नहीं रहेगा और देश में अशांति फैल सकती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस स्थिति को रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए संविधान की रक्षा और सामाजिक सौहार्द की जरूरत है।
मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “अगर देश में लोग एक-दूसरे को दुश्मन समझने लगेंगे, तो क्या इस स्थिति में डर और भय का माहौल नहीं बनेगा?” उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि समाज में असहमति और घृणा की भावना बढ़ रही है, जो भविष्य में गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकती है।


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