ग़ाज़ा के समर्थन में लंदन में ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन, तीन लाख लोगों ने लिया हिस्सा

ग़ाज़ा के समर्थन में लंदन में ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन, तीन लाख लोगों ने लिया हिस्सा

ग़ाज़ा पर इज़रायल की क्रूरता, अत्याचार और बमबारी में संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी देश तेल अवीव का खुलकर समर्थन कर रहे हैं, लेकिन पश्चिमी देशों में इज़रायल के प्रति जनता की राय तेजी से उदार होती जा रही है। इसका अंदाजा यहां की जनता द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन से किया जा सकता है। इन देशों में ग़ाज़ा के मज़लूमों के समर्थन में और इज़रायल के अत्याचार के ख़िलाफ़ होने वाले विरोध प्रदर्शन में लगातार वृद्धि हो रही है। ब्रिटिश पुलिस ने पुष्टि की कि लंदन में ग़ाज़ा के समर्थन में शनिवार के मार्च में रिकॉर्ड 300,000 लोगों ने हिस्सा लिया।

शनिवार को लंदन के अलावा न्यूयॉर्क, पेरिस, बर्लिन, ब्रुसेल्स, एडिनबर्ग और सिडनी में भी विरोध प्रदर्शन हुए। विरोध प्रदर्शनों में असाधारण भीड़ भी उमड़ी और ग़ाज़ा पर इज़रायली बमबारी को तत्काल रोकने की मांग की गई। समझा जाता है कि जनता के इस भयानक विरोध प्रदर्शन के परिणाम स्वरूप, तेल अवीव का आंख बंद कर समर्थन करने वाले फ्रांस ने अब युद्ध-विराम की मांग की है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री ने भी तेल अवीव को हमला रोकने की सलाह दी है।

शनिवार को लंदन में “फ़िलिस्तीन के लिए राष्ट्रीय मार्च” में भाग लेने के लिए पूरे ब्रिटेन से लोग आए। पुलिस ने प्रतिभागियों की संख्या 3 लाख बताई, जबकि आयोजकों का दावा है कि यह संख्या लगभग 8 लाख थी। मार्च में पुलिस की कड़ी मौजूदगी थी। ब्रिटेन में हमास का समर्थन करना गैरकानूनी है क्योंकि वहां की सरकार इसे आतंकवादी संगठन के रूप में वर्गीकृत करती है, लेकिन वहां की जनता शायद इज़रायल अमेरिका के इस दावे को नहीं मानती कि हमास आतंकवादी संगठन है, तभी इतनी बड़ी संख्या में लोग इज़रायल के विरुद्ध प्रदर्शन में शामिल हुए।

इस मार्च का आयोजन ‘स्टॉप द मार्च’ नाम के संगठन ने किया था। मार्च के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीनी झंडे लहराए और युद्धविराम का आह्वान किया। मार्च के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की कुछ घटनाएं भी हुईं। शाम तक पुलिस ने 126 लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है. मार्च का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें प्रदर्शनकारियों का उत्साह बढ़ाते हुए दिखाया गया है। इससे ब्रिटिश सरकार पर दबाव पड़ने की उम्मीद है।

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