सरकारी अधिकारियों का ‘संकल्प यात्रा’ में शामिल होने से इनकार
अकोला: मोदी सरकार ने संसदीय चुनाव से पहले सरकार द्वारा किए गए ‘कार्य’ का प्रचार करने के लिए ‘विकसित भारत संकल्प’ यात्रा शुरू की है, जिसमें सरकारी अधिकारी एक बड़ी वैन में गांव-गांव जाते हैं। और स्थानीय निवासियों को बताते हैं कि सरकार ने उनके लिए क्या किया है।
यूं तो विपक्ष लगातर बीजेपी पर सरकारी पैसे पर अपनी सरकार का प्रचार करने का आरोप लगाता रहा है, लेकिन अब उनकी ‘यात्रा’ का विरोध सार्वजनिक स्तर पर शुरू हो गया है, जिसके कारण सरकारी अधिकारी वैन लेकर गांवों में जाने से कतराने लगे हैं। उन्होंने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर इस यात्रा से हटने की सूचना भी दे दी है। उन्होंने अपनी अपनी जान जोखिम में होने का हवाला दिय है।
याद रहे कि पिछले दिनों (दैनिक इकबाल, उर्दू 27 दिसंबर) खबर आई थी कि, अकोला के एक गांव में स्थानीय निवासियों ने केंद्र सरकार की ‘संकल्प यात्रा’ को वापस लौटा दिया था। लोगों को इस बात पर एतराज़ था कि ‘भारत सरकार की जगह ” मोदी सरकार” क्यों लिखा है ? ऐसी घटनाएं अलग-अलग जगहों पर हो रही हो रही हैं। स्थानीय सरकारी अधिकारियों को जनता के पैसे पर ‘मोदी सरकार’ के प्रचार के लिए जवाब देना पड़ रहा है, जो उनका काम नहीं है।
इसलिए ये अधिकारी अब घबरा गए हैं। प्रभावनी में 8 अधिकारियों ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए यात्रा में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। कुछ अधिकारियों की शिकायत है कि कुछ गांव ऐसे हैं जहां इस यात्रा में शामिल अधिकारियों के साथ मारपीट भी की गई है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
उनका एक ही सवाल है कि क्या वे यहां ‘मोदी सरकार का प्रचार करने आये हैं। ध्यान रहे कि इस समय राज्य में मराठा आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है और विभिन्न गांवों में नेताओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है, बल्कि ग्रामीण सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी नहीं करने दे रहे हैं। ऐसे में अधिकारियों का किसी गांव में संकल्प यात्रा के लिए जाना जोखिम भरा काम हो सकता है।
इस पृष्ठभूमि में, प्रभावनी जिले के 8 अधिकारियों ने अपने जिला कलेक्टर को लिखा है कि वे इस यात्रा का हिस्सा नहीं बन सकते हैं। एसवी पान पाटिल, एमएस सैयद, डीआर कराडे, यूटी राठौड़, एसएस डोंगर देवे, एसआर कोडमालवार, एसपी जोशी और एसआर चलगर ने कलेक्टर को लिखे पत्र में साफ लिखा है कि लोग उनसे पूछते हैं कि क्या आप यहां मोदी सरकार का विज्ञापन करने आए हैं?
पत्र में लिखा है कि ”जब हम गांव में प्रवेश करते हैं तो ग्रामीण हमसे पूछते हैं कि आप लोग मोदी सरकार का प्रचार क्यों कर रहे हैं?” भारत सरकार का प्रचार क्यों नहीं करते ? वे हमसे सरकारी वैन पर भारत सरकार की जगह ‘मोदी सरकार’ लिखे होने के बारे में भी सवाल करते हैं। ऐसे में पुलिस सुरक्षा के बिना ऐसी ‘यात्रा’ में भाग लेना मुश्किल होगा।
पदाधिकारियों ने मांग की है कि ‘या तो प्रशासन हमें ऐसी यात्रा के लिए पुलिस सुरक्षा मुहैया कराए, नहीं तो हम इसमें हिस्सा नहीं लेंगे।