अरब देशों की आपात बैठक में लेबनान और ग़ाज़ा में तत्काल युद्ध-विराम की मांग
ग़ाज़ा और लेबनान में इज़रायल की आक्रामकता के खिलाफ सोमवार को सऊदी राजधानी रियाद में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) और अरब लीग की संयुक्त बैठक में तेल अवीव से तत्काल और अधिक आक्रामकता से दूर रहने की अपील की गई, जबकि बैठक में शामिल नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी शांति स्थापना की जिम्मेदारी निभाने की अपील की। इस बैठक में सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र, कतर, तुर्की, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, फिलिस्तीन और अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ-साथ अरब लीग के प्रतिनिधि और ओआईसी के महासचिव भी उपस्थित थे।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन को मान्यता देने की अपील
बैठक के उद्घाटन सत्र में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि सऊदी अरब फिलिस्तीन और लेबनान में चल रही इज़रायली आक्रामकता के खिलाफ फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा, “इज़रायल द्वारा फिलिस्तीनियों का नरसंहार और उन पर होने वाली क्रूरता के खिलाफ सऊदी अरब ने हमेशा आवाज उठाई है, और अब भी हम इसे कड़ी निंदा करते हैं।”
उन्होंने इज़रायल से और अधिक आक्रामकता से रुकने की अपील करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की भी अपील की। इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि “वैश्विक शांति की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभाएं और फिलिस्तीन व लेबनान में हमारे भाइयों के नरसंहार का कारण बनने वाली कार्रवाइयों को तुरंत रोके।”
सऊदी अरब ने ईरान के लिए उठाई आवाज
भाईचारे का प्रदर्शन करते हुए मोहम्मद बिन सलमान ने ईरान के समर्थन में भी आवाज उठाई और इज़रायल से मांग की कि “वह ईरान की संप्रभुता और आत्मनिर्णय का सम्मान करे और उसके क्षेत्र पर हमलों से बचे।” उल्लेखनीय है कि इज़रायली हमलों में ग़ाज़ा में अब तक 43 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 70% महिलाएं और बच्चे हैं।
आपात बैठक का उद्देश्य
सऊदी अरब की अध्यक्षता और मेजबानी में इस बैठक का उद्देश्य ग़ाज़ा और लेबनान में इज़रायली आक्रामकता को समाप्त करने के लिए वैश्विक शक्तियों पर दबाव बनाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांतों पर आधारित दीर्घकालिक और समग्र शांति के लिए उन्हें गंभीर प्रयासों की ओर प्रेरित करना है।
ग़ाज़ा की स्थिति पर हाल ही में अरब और इस्लामी शिखर बैठक के दौरान बनाई गई एक मंत्री स्तरीय समिति ने पहले ही कूटनीतिक स्तर पर वैश्विक नेताओं और अधिकारियों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। इन बैठकों के दौरान समिति के सदस्यों ने इजराइली सैन्य आक्रामकता को रोकने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और गाजा तक सुरक्षित मार्गों के निर्माण के माध्यम से बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं और चिकित्सा सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की थी।
इज़रायली अत्याचार अवर्णनीय
बैठक में अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल-गैथ ने भी ग़ाज़ा और लेबनान में इज़रायल द्वारा किए जा रहे नरसंहार की निंदा करते हुए कहा कि “फिलिस्तीनी जनता की स्थिति को शब्दों में व्यक्त करना असंभव है।” उन्होंने कहा कि “इज़रायल जो कुछ फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ कर रहा है, उससे दीर्घकालिक शांति में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि “न्याय के माध्यम से ही दीर्घकालिक शांति स्थापित हो सकेगी।” सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार ग़ाज़ा और लेबनान में “आक्रामकता” ने “अरब और मुस्लिम नेताओं को आपातकालीन कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है।”
अरब और मुस्लिम देशों के इस आपात बैठक में भाग लेने के लिए राष्ट्राध्यक्षों का आना रविवार से ही शुरू हो गया था, जो सोमवार तक जारी रहा। ईरान की ओर से इस बैठक में देश के पहले उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा आरिफ उपस्थित थे। इसके पहले एक साल पहले ऐसी ही बैठक काहिरा में हुई थी। 57 सदस्यीय ओआईसी और 22 सदस्यीय अरब लीग में कई ऐसे देश भी शामिल हैं, जो इज़रायल को मान्यता देते हैं।


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