बिहार के बाद अब तेलंगाना विधानसभा से भी “जातिगत सर्वे” प्रस्ताव हुआ पारित

बिहार के बाद अब तेलंगाना विधानसभा से भी “जातिगत सर्वे” प्रस्ताव हुआ पारित

तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार (16 फरवरी) को राज्य में जाति जनगणना कराने के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया। यह वादा पार्टी ने पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले किया था। लक्षित कल्याण और समान संसाधन वितरण के लिए जाति डेटा इकट्ठा करने के उद्देश्य से जनगणना के संचालन के लिए विधानसभा में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पोन्नम प्रभाकर द्वारा प्रस्ताव लाया गया था।

बिहार के बाद अब तेलंगाना दूसरा ऐसा राज्य है जहां, जाति आधारित सर्वे होगा। तेलंगाना विधानसभा ने राज्य में घर-घर जाकर जातिगत सर्वे करने सरकार के प्रस्ताव को शुक्रवार को पारित कर दिया है। इस सर्वे के जरिये राज्य में रहने वाली विभिन्न जातियों से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्र किये जायेंगे। इसका मकसद राज्य में ओबीसी, दलित, आदिवासी और अन्य कमजोर तबके के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं बनाना है और उसे लागू करना है।

बता दें कि, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। इस बीच तेलंगाना विधानसभा ने राज्य में घर-घर जाकर जातिगत सर्वेक्षण करने को लेकर शुक्रवार (16 फरवरी, 2024) को प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में बताया गया कि जातिगत सर्वे का उद्देश्य पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों और अन्य कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार करना और उन्हें लागू करना है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास समाज के कमजोर वर्ग के लिए काम करना रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार ने जस्टिस राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिण्क स्थिति का अध्ययन करने के लिए कमेटी गठित की थी। हमारा उद्देश्य डाटा जमा करके इसके तहत सभी का विकास करना है।

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