विटकॉफ़ की ग़ाज़ा यात्रा केवल अंतरराष्ट्रीय ग़ुस्से को शांत करने की कोशिश: जिहादे इस्लामी

विटकॉफ़ की ग़ाज़ा यात्रा केवल अंतरराष्ट्रीय ग़ुस्से को शांत करने की कोशिश: जिहादे इस्लामी

फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध संगठन ‘जिहादे इस्लामी’ ने अमेरिका पर ग़ाज़ा में नरसंहार और भुखमरी में सक्रिय भागीदारी का आरोप लगाते हुए कहा है कि, अमेरिकी दूत ‘स्टीव विटकॉफ़’ की ग़ाज़ा यात्रा सिर्फ़ एक राजनीतिक नाटक है जिसका मक़सद बढ़ते अंतरराष्ट्रीय रोष को दबाना है।

अलजज़ीरा के हवाले से, जिहादे इस्लामी ने कहा: “विटकॉफ़ की यात्रा एक अपराधस्थल की यात्रा जैसी है जहाँ अपराधी खुद को राहतकर्मी दिखाने की कोशिश कर रहा है। ग़ाज़ा में जो हो रहा है, वह एक योजनाबद्ध सामूहिक नरसंहार है। ये यात्रा न केवल इज़रायली अपराधों को वैध ठहराने की कोशिश है बल्कि ट्रंप प्रशासन की छवि सुधारने की कोशिश भी है।”

उन्होंने आगे कहा: “अमेरिका हर उस हत्या, भुखमरी और जबरन विस्थापन का सहभागी है जो फ़िलिस्तीनी जनता पर थोपे जा रहे हैं। विटकॉफ़ की यह यात्रा मीडिया भ्रम फैलाने के अभियान का हिस्सा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ग़ुस्से को काबू किया जा सके।”

जिहाद इस्लामी ने यह भी कहा:
“ग़ाज़ा की ‘मानवता’ अब एक राजनीतिक औजार और सैडिस्टिक निशाना अभ्यास बन चुकी है, और यह भूखों के लिए एक जाल बन गई है। यदि अमेरिका वास्तव में चाहे तो केवल एक शब्द से यह नरसंहार और भुखमरी रोक सकता है। इस समूह ने अरब और मुस्लिम देशों की जनता से अपील की कि अमेरिका द्वारा बनाई गई विश्वासघात की इस श्रृंखला को तोड़ें।

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की रिपोर्टों में ग़ाज़ा में भयंकर कुपोषण और भुखमरी की पुष्टि की जा चुकी है, लेकिन अमेरिका के विशेष दूत ‘स्टीव विटकॉफ़‘ ने ग़ाज़ा में अकाल की बात को नकार दिया है।

इज़रायल के चैनल 12 ने शनिवार को रिपोर्ट दी कि विटकॉफ़ ने तेल अवीव में इज़रायली क़ैदियों के परिवारों से मुलाक़ात की और दावा किया: “ग़ाज़ा में मुश्किलें हैं और आपूर्ति सीमित है, लेकिन यह अकाल नहीं है।” उन्होंने आगे कहा: “हमास के दावों को ख़ारिज करने के बाद युद्ध समाप्त करने और सभी क़ैदियों की रिहाई के लिए बातचीत जारी रहेगी।”

विटकाफ़ ने ग़ाज़ा में अकाल की बात को नकार दिया है। उनके हिसाब से वहां कोई अकाल नहीं हैं। अगर विटकॉफ़ की बात को सच मान लिया जाए तो क्या संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टें ग़लत है? अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, खुद स्वीकार कर चुके हैं कि, ग़ाज़ा की स्थिति भयावह है ,वहां लोग भूखमरी का शिकार हैं। तो फिट विटकाफ़ अकाल की बातें नकार क्यों रहे हैं?

जबकि ज़मीनी हकीकत और स्वतंत्र स्रोत इससे बिल्कुल अलग स्थिति बयान करते हैं। ज्ञात हो कि ग़ाज़ा पट्टी में 7 अक्टूबर 2023 से अब तक (करीब 22 महीने) लगातार विनाशकारी युद्ध जारी है। वहां के नागरिक इज़रायली बमबारी और अत्याचार के बाद  भुखमरी से मर रहे हैं।

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