हम ज़िंदा हैं मगर आप मर चुके हैं

हम ज़िंदा हैं मगर आप मर चुके हैं

इज़रायल का ग़ाज़ा पर हवाई हमला लगातार जारी है। इज़रायल का ग़ाज़ा पर यह हमला गाजा के इतिहास का सबसे भीषण नरसंहार है। ग़ाज़ा के निवासियों के लिए यूं तो 7 अक्टूबर के बाद का हर दिन ज़ुल्म और अत्याचार का शिकार होने में गुज़र रहा है। हर दिन ग़ाज़ा के निर्दोष निवासियों के लिए प्रलय के दिन से कम नहीं है, क्योंकि इंसानियत के दुश्मन जंगली जानवर गाजा पर समुद्र, थल, वायु और जमीनी चारों दिशाओं से हमला कर रहे हैं।

इज़रायल की जमीनी कार्रवाई भी जारी है और साथ ही ग़ाज़ा पर अभूतपूर्व हवाई हमला भी जारी है। अल-जज़ीरा के रिपोर्टर का कहना है, ” ग़ाज़ा में हर जगह शरीर के टुकड़े बिखरे हुए हैं। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए बमबारी एक सेकंड के लिए भी नहीं रुक रही है। 7 अक्टूबर के बाद इज़रायल ने ग़ाज़ा को पूरी तरह से घेर लिया। वहां बिजली, पानी, भोजन, रसद और ईंधन की सप्लाई रोक दी गई। दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को भी ग़ाज़ा में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।

दुनिया चीख़ती रही, चिल्लाती रही, संयुक्त राष्ट्र लगातार चिंता जताता रहा, मुस्लिम देशों में लगातार बैठकें पर बैठकें होती रहीं। पूरी दुनिया में मानवता के हितैषी जोरदार नारे लगाते रहे, लेकिन इज़रायल के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, क्योंकि उसके अत्याचारों का अमेरिका समेत पूरा यूरोप लगातार समर्थन कर रहा है। अलबत्ता अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन की जनता अवश्य इज़रायल के अत्याचार के विरुद्ध में और फिलिस्तीन के समर्थन में हर रोज़ प्रदर्शन कर रही है।

अन्य पश्चिमी देश भी ग़ाज़ा पर इज़रायल के अत्याचारों का समर्थन कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि ये सब हमास को मिटाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन वहां मासूम लोगों की लाशें पड़ी हैं, जिसमें छोटे बच्चे, महिलाएं, बूढ़े, जवान शामिल हैं। हजारों लोग ज़ख्मों से कराह रहे हैं। अस्पतालों में दवा और चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी है। इजरायली क्रूरता के परिणामस्वरूप शहीद हुए लोगों के शवों को दफनाने के लिए कोई जगह नहीं है।

अल-कुद्स न्यूज़ ने ठीक ही लिखा है कि “यदि आप इस समय ग़ाज़ा में शहीद नहीं हुए हैं, तो आप घायल हैं, यदि आप घायल नहीं हैं, तो आप मलबे के नीचे दबे किसी प्रियजन की तलाश कर रहे हैं। यदि आप किसी को खोज नहीं रहे हैं, तो फिर इसका मतलब यह है कि आप अनाथ हैं।” पश्चिमी दुनिया अभी भी इज़रायल पर हमास द्वारा हुए हमलों पर शोक मना रही है, लेकिन उसके पास उन हजारों बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं के लिए सहानुभूति के कोई शब्द नहीं हैं जो इज़रायल के सबसे भयानक आतंकवाद के परिणामस्वरूप हर दिन मर रहे हैं।

अब तक ग़ज़ा में इज़रायल की बमबारी से जो बच्चे शहीद हुए हैं, उन बच्चों को तो युद्ध का मतलब तक नहीं पता था, न ही वे दुनिया की पाखंडी राजनीति को समझते थे। सभी पाखंडी सहानुभूति दिखाने के लिए तेल अवीव तो पहुँच गए, लेकिन उनमें से एक भी मानवतावादी होने का दिखावा करने के लिए ग़ाज़ा नहीं आया क्योंकि वे जानते हैं कि इज़रायल पिकनिक मनाने के लिए एक सुरक्षित जगह है, जबकि ग़ाज़ा उनके द्वारा धरती पर बनाया गया वह नर्क है, जहां जीवित रहने की संभावना सबसे कम है।

स्पेन के सामाजिक अधिकार मंत्री इवानी पोलारा ने ठीक ही कहा है कि “इज़रायल ग़ाज़ा में जो कर रहा है वह युद्ध अपराध और फिलिस्तीनियों का सुनियोजित नरसंहार है। उसने लाखों लोगों को बिजली, पानी और भोजन से वंचित कर दिया है।” वह नागरिकों के खिलाफ बमबारी अभियान चला रहा है, जो सामूहिक सजा और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है।” ग़ाज़ा में पिछले चार हफ्तों से लगी आग में सबसे बड़ी त्रासदी उन बच्चों की मौत है जो दर्दनाक मौत का शिकार हो रहे हैं।

सोशल मीडिया पर घूम रही ग़ाज़ा के मरते बच्चों की दर्दनाक तस्वीरें रूह कंपा देने वाली और शरीर हिला देने वाली हैं। दुनिया का कौन सा ऐसा देश है जहां की जनता ग़ाज़ा के इतिहास में सबसे भयानक अत्याचारों का विरोध नहीं कर रही है? जाहिर है, यह केवल मुसलमानों की समस्या नहीं है, बल्कि मानवता के अस्तित्व और निरंतरता की भी समस्या है। इसीलिए लोग जहां भी रहते हैं, जिस देश में भी रहते हैं “युद्ध नहीं” की तख्तियां लेकर सड़कों पर निकल आये हैं।

यहां तक ​​कि खुद इज़रायल के यहूदी, वहां के लोग भी इस जुल्म पर चिल्ला उठे हैं। लेकिन इज़रायल और नेतन्याहू पर इंसानियत के विरुद्ध युद्ध का जुनून सवार है और वह हमास को हराने के नाम पर ग़ाज़ा को मिटाने पर तुला हुआ है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे इज़रायल के संरक्षक बेशर्म नेता अभी भी स्थिति से आंखें मूंदे हुए हैं। “हां, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने जरूर मुंह खोला था और कहा था कि ”अगर ग़ाज़ा में इंसानी आबादी पर बम गिरते रहे तो इज़रायल दुनिया में अकेला पड़ जाएगा। ” लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि वो वक्त कब आएगा?

सबसे शर्मनाक स्थिति अरब देशों की है जिन्होंने अभी तक बैठकों और शोक के अलावा कुछ नहीं किया है। वह कर भी क्या सकते हैं क्योंकि अपने सिर के ताज की सुरक्षा के बदले में जो चीज़ें उन्होंने अमेरिका के सामने गिरवी रखा है, उसमें उनका मुर्दा ज़मीर भी शामिल है। वे स्वयं मर चुके हैं। एक तुर्की चैनल पर प्रसारित एक उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी के इस संदेश को सुनें जिसमें वह कह रहा है: “मुस्लिम देशों से कहें कि वे फ़िलिस्तीनियों के लापता जनाज़े की नमाज़ अदा न करें, क्योंकि हम जीवित हैं मगर आप मर चुके हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

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