अमेरिकी सैनिकों ने इराक़ स्थित ऐन-अल-असद बेस को ख़ाली करना शुरू किया

अमेरिकी सैनिकों ने इराक़ स्थित ऐनअलअसद बेस को ख़ाली करना शुरू किया

रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने सोमवार शाम स्थानीय सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी कि अमेरिकी सैनिक ऐन-अल-असद सैन्य अड्डे से निकल रहे हैं। अल-अनबार प्रांत के एक सूत्र ने बताया है कि अमेरिकी सेना इराक़ के पश्चिम में स्थित ऐन-अल-असद बेस को, इराक़ी अधिकारियों के साथ हुए समझौते के अनुसार, चरणबद्ध तरीके से छोड़ रही है। ईरानी समाचार एजेंसी “इसना” के अनुसार, एक इराक़ी सूत्र ने कहा कि हाल के दिनों में हमने ऐन-अल-असद बेस से अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बलों की तेज़ी से वापसी देखी है।

रूसिया अल-यौम की रिपोर्ट के मुताबिक़, सूत्र ने बताया कि यह वापसी बड़े समूहों के रूप में सीरिया की ओर अल-वालिद बॉर्डर क्रॉसिंग की दिशा में की जा रही है। सूत्र ने यह भी कहा कि अमेरिकी सैनिक पश्चिमी रेगिस्तानी सड़क का इस्तेमाल कर इराक़ के भीतर से गुजर रहे हैं। बग़दाद और वॉशिंगटन के बीच हुए समझौते के अनुसार, इराक़ में अमेरिका के नेतृत्व वाले तथाकथित “आईएसआईएस विरोधी गठबंधन” की मौजूदगी इस साल सितंबर तक समाप्त होनी है और अगले साल सितंबर तक इसके दूसरे चरण का समापन होगा।

इसी बीच मीडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिकी अधिकारियों ने अपने इराक़ी समकक्षों को सूचित किया है कि वे सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को तेज़ करेंगे और तय समय-सीमा का पालन नहीं करेंगे। राजनीतिक सूत्रों ने पहले ही कहा था कि वॉशिंगटन ने अप्रत्याशित रूप से इराक़ से ऐन-अल-असद और विक्टोरिया बेस खाली करने का निर्णय लिया है। स्काई न्यूज़ को दिए बयान में उन्होंने बताया कि अमेरिकी सेना अपने सैनिकों को एक पड़ोसी अरब देश में स्थानांतरित करना शुरू कर चुकी है।

इराक़ी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता सबा अल-नुमान ने पहले कहा था कि तथाकथित “आईएसआईएस विरोधी गठबंधन” की वापसी, सरकार की एक उपलब्धि है और यह दर्शाता है कि इराक़ आतंकवाद से मुकाबला करने में सक्षम है।

गुरुवार शाम से अमेरिकी सेना ने अल-अनबार प्रांत स्थित ऐन-अल-असद बेस से वास्तविक वापसी शुरू कर दी है। कुछ सैनिक और उपकरण विमानों से बाहर ले जाए गए। यह इस बेस से इस तरह का पहला कदम है, क्योंकि पहले केवल उपकरणों का ही स्थानांतरण हुआ करता था। ऐन-अल-असद बेस 2003 से अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण सामरिक ठिकाना रहा है, विशेष रूप से 2014 से दाइश के खिलाफ़ युद्ध में इसकी भूमिका अहम रही। उम्मीद है कि यह बेस मध्य सितंबर तक पूरी तरह बंद हो जाएगा, हालांकि कुछ हवाई और खुफ़िया सलाहकार वहीं रहेंगे।

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