वेनेज़ुएला के खिलाफ़ अमेरिकी कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा: ईरान
संयुक्त राष्ट्र जिनेवा मुख्यालय में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत अली बहरेनी ने लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम पर गहरी चिंता जताई और अमेरिका की शत्रुतापूर्ण व उकसाने वाली कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा बताया।
फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी के विदेश नीति डेस्क के अनुसार, अली बहरेनी ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण सम्मेलन में कहा कि वर्षों से अमेरिका ने वेनेज़ुएला पर अवैध प्रतिबंध, एकतरफ़ा ज़बरदस्ती वाले कदम (UCMs), शासन परिवर्तन की कोशिशें और यहां तक कि वैध अधिकारियों की हत्या की साज़िशें की हैं। अब कैरिबियन क्षेत्र में युद्धपोत और परमाणु पनडुब्बी की तैनाती करके अमेरिका, वेनेज़ुएला की राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को खुले तौर पर धमका रहा है।
उन्होंने कहा कि यह क़दम अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मूल सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है, ख़ासकर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2 की धारा 4 का। साथ ही, अमेरिका ने विवादों को शांतिपूर्ण तरीक़े से सुलझाने (अनुच्छेद 2 की धारा 3) और अन्य देशों के आंतरिक मामलों में दख़ल न देने (अनुच्छेद 2 की धारा 7) के सिद्धांतों का भी उल्लंघन किया है।
बहरेनी ने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क़ानून और क़ानूनी सिद्धांतों की हुकूमत स्थापित करना है, न कि ज़बरदस्ती और दबाव की राजनीति। लेकिन जैसा कि हाल ही में अमेरिका ने इज़रायल के साथ मिलकर ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर हमला करके दिखा दिया, यह देश कूटनीति और शांतिपूर्ण समाधान पर विश्वास नहीं रखता।
ईरानी राजदूत ने कहा कि एक परमाणु शक्ति वाले स्थायी सदस्य द्वारा NPT के ग़ैर-परमाणु सदस्य देश को परमाणु पनडुब्बी की तैनाती से धमकाना, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा है और यह निरस्त्रीकरण व अप्रसार व्यवस्था को गहरा आघात पहुँचाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका की यह कार्रवाई लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र के परमाणु मुक्त क्षेत्र बनाने वाले “त्लातेलोल्को संधि” का उल्लंघन है, जिसका दूसरा प्रोटोकॉल अमेरिका ने हस्ताक्षर किया है।
बहरेनी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि इससे पहले कि यह तनाव एक बड़े युद्ध में बदल जाए, अमेरिका को मजबूर किया जाए कि वह कैरिबियन क्षेत्र से अपनी सैन्य तैनाती ख़त्म करे, वेनेज़ुएला की राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे और अंतरराष्ट्रीय क़ानून व संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करे।
अपनी बात के अंत में उन्होंने कहा कि एक परमाणु संपन्न देश का गैर-परमाणु देश के ख़िलाफ़ इस तरह का उकसाने वाला रवैया यह दर्शाता है कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का ख़तरा कितना वास्तविक है। इस ख़तरे से बचने का एकमात्र असली रास्ता पूर्ण, सत्यापन योग्य और अपरिवर्तनीय परमाणु निरस्त्रीकरण है। जब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं होता, तब तक ग़ैर-परमाणु देशों के खिलाफ़ परमाणु हथियार के इस्तेमाल और इस्तेमाल की धमकी न देने की बिना शर्त और क़ानूनी गारंटी एक अनिवार्य आवश्यकता है।


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