UAE को F-35 विमानों की बिक्री अबुधाबी और इस्राईल समझौते का हिस्सा, पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात को F-35 विमानों की बिक्री अबू धाबी, इस्राईल और वाशिंगटन के बीच होने वाले सौदे का “एक महत्वपूर्ण हिस्सा”थी।
गुरुवार की सुबह येडियट अहरोनोट में अपने एक इंटरव्यू में पोम्पिओ ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की इस बात का इंकार किया कि F-35 विमानों की बिक्री अगस्त 2020 की त्रिपक्षीय बातचीत का मुख्य हिस्सा नहीं थी।
नेतन्याहू ने UAE सौदे को”अमन बराए अमन” के तौर पर पेश करने की कोशिश की है, ताकि अरब राज्य को शांति तथा इस्राईल के साथ सामान्य होने के बदले में जमीन या कोई अन्य लाभ न मिले।
यरुशलम पोस्ट के अनुसार प्रधानमंत्री ने 1 जुलाई, 2020 को वेस्ट बैंक को जोड़ने की अपनी योजना के इनकार करने पर जोर देते हुए कहा कि यह विकल्प अभी भी उनके लिए बचा है – हालांकि यूएई ने कहा है कि समझौते के बाद इनकार करने का कोई विकल्प नही बचता है।
इस्राईल के खुफिया सूत्रों ने द जेरूसलम पोस्ट को बताया था कि एफ -35 का सौदा UAE समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था इसके अलावा सूत्रों ने यह भी कहा कि संयुक्त अरब अमीरात जैसे मध्य पूर्वी देशों को अत्याधुनिक तकनीक बेचना अब आम बात है ट्रम्प प्रशासन के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार जारेड कुशनर ने भी कहा था कि एफ -35 विमान की बिक्री सौदे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
पोम्पिओ के बयान के बावजूद, अन्य इस्राईली अधिकारियों का कहना है कि एफ -35 विमान की बिक्री इजराईल के अनुसार सौदे का मुख्य हिस्सा नहीं थी और बातचीत के पहलू अमेरिका और यूएई के बीच द्विपक्षीय थे।
पोम्पिओ ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन “गंभीर तथा दृढ़ था … और इस पर भरोसा किया जा सकता था” इसी भरोसे के कारण इज़राइल के साथ समझौते में यूएई की रुचि बढ़ी थी। पोम्पिओ ने जिन भरोसेमंद कार्यों के बारे में कहा उनमे ईरान कुद्स फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी की हत्या और इजराईल को मान्यता देना तथा यरूशलम और वेस्ट बैंक में कब्ज़ा करना” इत्यादि कार्य शामिल है।
इसके बाद, पोम्पिओ ने यह भी कहा कि सऊदी अरब को एक हवाई रक्षा प्रणाली बेचने से संयुक्त अरब अमीरात को अन्य साहसिक कदम उठाने के लिए एक मौका मिल जाएगा क्योंकि सउदी खाड़ी देशों में सबसे अधिक शक्तिशाली है।
पोम्पिओ ने बाइडन की भी आलोचना की और हालिया गाजा युद्ध के दौरान बाइडन द्वारा सार्वजनिक रूप से इस्राईल का समर्थन करने के बावजूद,बाइडन को इस्राईल के अपर्याप्त समर्थन के रूप में चिह्नित किया।
पोम्पिओ ने कहा कि ईरान की परमाणु समझौते में फिर से शामिल होने की मांग, इस्राईल को कमजोर करेगी तथा इससे नेतन्याहू सरकार की नीति के खिलाफ यूएस-फिलिस्तीनी संबंधों के पहलुओं को मजबूत करके ईरानी आतंक को बढ़ावा मिलेगा।


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