ग़ाज़ा को फ़िलिस्तीनियों से खाली कराने के लिए ट्रंप की ख़तरनाक योजना

ग़ाज़ा को फ़िलिस्तीनियों से खाली कराने के लिए ट्रंप की ख़तरनाक योजना

ग़ाज़ा में युद्ध-विराम का श्रेय लेने के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ग़ाज़ा को फ़िलिस्तीनियों से खाली कराने की अपनी ज़िद पर अड़े हुए हैं। उन्होंने ग़ाज़ा को ‘साफ़’ करने के नाम पर वहाँ के निवासियों को मिस्र और जॉर्डन में बसाने की अपनी भड़काऊ योजना को गुरुवार को एक हफ्ते में तीसरी बार दोहराया। इस बार उन्होंने ज़्यादा ज़ोर देकर कहा कि जॉर्डन और मिस्र को इसके लिए राज़ी होना पड़ेगा क्योंकि अमेरिका उनके लिए बहुत कुछ करता है।

हालांकि, जॉर्डन और मिस्र पहले ही इस प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं और फ़ीलिस्तीनियों को ग़ाज़ा में ही रहने देने पर ज़ोर दिया है। इन दोनों देशों ने इस बात की ओर इशारा किया कि सुरक्षा के नाम पर अस्थायी रूप से दूसरे क्षेत्रों में भेजे गए फ़िलिस्तीनी कभी अपनी ज़मीन पर वापस नहीं लौट पाए। जॉर्डन में पहले से ही 23 लाख फ़िलिस्तीनी निर्वासन में कठिन जीवन जी रहे हैं।

नेतन्याहू के दौरे से पहले ट्रंप ने फिर दोहराई अपनी योजना
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के वाशिंगटन दौरे से चार दिन पहले, ओवल ऑफिस में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि जॉर्डन और मिस्र को ग़ाज़ा से निकाले गए फ़ीलिस्तीनियों को अपने यहाँ बसाना होगा। उन्होंने यह संकेत दिया कि वह ऐसा ज़रूर करवाएंगे। पहले उन्होंने दो बार कहा कि “वे ऐसा करेंगे,” और फिर धमकी भरे लहजे में पत्रकार से कहा, “आप समझ लीजिए कि उन्हें यह करना ही होगा। हम उनके लिए बहुत कुछ करते हैं, इसलिए उन्हें भी यह करना पड़ेगा।”

गौरतलब है कि एक पत्रकार ने ट्रंप से सवाल किया था कि मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी और जॉर्डन के शाह अब्दुल्लाह पहले ही इस प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, तो क्या अब उन पर दबाव बनाने के लिए ‘टीरिफ़’ (उनके उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क) जैसी रणनीति अपनाई जाएगी? इस पर ट्रंप ने तुरंत जवाब दिया, “हां, हम ऐसा करने जा रहे हैं, क्योंकि हमने उनके लिए बहुत कुछ किया है।”

ट्रंप ने यह योजना इस तरह पेश की जैसे उन्हें ग़ाज़ा के नागरिकों से हमदर्दी हो और वह चाहते हों कि वे शांतिपूर्ण माहौल में रहें। लेकिन फ़िलिस्तीनी और अरब देशों ने इसे सही मायने में जबरन विस्थापन की एक नई साज़िश बताया है।

क्या ट्रंप ने पहले ही कर ली है योजना तैयार?
डोनाल्ड ट्रंप का बार-बार ग़ा ज़ा के नागरिकों को जॉर्डन और मिस्र में बसाने पर ज़ोर देना एक सोची-समझी साज़िश का हिस्सा माना जा रहा है। हालात पर नज़र रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप ने पर्दे के पीछे इस योजना की तैयारी पहले ही कर ली है। गुरुवार शाम व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि काहिरा और अम्मान के स्पष्ट इनकार के बावजूद वे युद्धग्रस्त ग़ाज़ा के नागरिकों को वहाँ बसाने के लिए तैयार करवा लेंगे।

इससे संकेत मिलता है कि हाल ही में इस योजना पर अमेरिकी प्रशासन और इज़रायल के बीच बातचीत हो चुकी है। ट्रंप के बयानों से पहले उनके दामाद जेरेड कुशनेर ने पिछले साल फरवरी में ऐसा ही बयान दिया था। उन्होंने संकेत दिया था कि अगर ग़ाज़ा को फ़लस्तीनियों से खाली करा दिया जाए, तो वहाँ निवेश के बड़े अवसर होंगे, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति और समुद्री तट बहुत आकर्षक हैं।

इज़रायली राजनीतिक सूत्रों ने दो दिन पहले पुष्टि की थी कि ट्रंप का ये बयान केवल जुबानी भूल नहीं हैं, बल्कि एक सोचे-समझे एजेंडे का हिस्सा हैं, जिस पर व्हाइट हाउस और अमेरिकी विदेश विभाग में गंभीर चर्चा हो रही है।

साज़िश में इज़रायल भी शामिल
इज़रायली टीवी चैनल 12 के राजनीतिक विश्लेषक अमीत सिगल, जिनके प्रधानमंत्री नेतन्याहू और दक्षिणपंथी अधिकारियों से करीबी संबंध हैं, ने खुलासा किया कि वरिष्ठ इज़रायली अधिकारियों ने इस योजना की पुष्टि की है। इन अधिकारियों ने कहा कि “ग़ाज़ा के नागरिकों के विस्थापन की योजना तैयार हो चुकी है। हम उन्हें अस्थायी या स्थायी रूप से जॉर्डन और मिस्र में बसा सकते हैं।”

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