यूएई प्रवासी महिलाओं के लिए मुसीबत, बच्चों का भविष्य अंधकार में संयुक्त अरब अमीरात में हालाँकि शादी से पहले शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है लेकिन मुश्किलें अब भी जस की तस है।
यूएई में प्रवासी महिलाओं के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं बिन ब्याही मांओं को अपने बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। पिछले साल नवंबर में जब संयुक्त अरब अमीरात ने अपने कानूनों में बदलाव करते हुए शादी से पहले शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाया तो बिन ब्याही मांओं को अपने बच्चों के लिए उम्मीद की किरण नजर आई थी। लेकिन इस फैसले को 1 वर्ष से अधिक का समय बीत गया है मगर शादी से पहले बच्चों को जन्म देने वाली माँएं अपने बच्चों के लिए प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए दर-दर भटक रही हैं।
संयुक्त अरब अमीरात में 2 सप्ताह में लागू होने वाले एक नए कानून के तहत भी अविवाहित महिलाओं के बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने का कोई उपाय नहीं है। जबकि प्रमाण पत्र ना होने की सूरत में बच्चे रखने पर महिलाओं को अपराधी माना जाएगा और उन्हें 2 साल के लिए जेल भी जाना होगा।
संयुक्त अरब अमीरात में जन्म प्रमाण पत्र हासिल करना एक महंगी प्रक्रिया है जिसका खर्चा उठाने में गरीब लोग विशेषकर घरों या दफ्तरों में मामूली वेतन पर काम करने वाले प्रवासी सक्षम नहीं हैं। मामूली वेतन पर घरों या दफ्तरों में काम करने वाले लोग जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए होने वाले खर्च को उठाने में असमर्थ हैं।
शारजाह सेंट्रल जेल से दिसंबर 2020 में रिहा होने वाली स्टार की एक 3 महीने की बच्ची है। बच्ची के साथ रिहा होने वाली स्टार ने बताया उसके साथ छह अन्य अविवाहित महिलाएं जेल में बंद थी इनमें से अधिकांश फिलीपींस से थी। स्टार ने कहा कि जब वह जेल में बंद थी तो उनकी बच्ची को उनसे छीन लिया गया। 15 महिलाओं को एक ही बाथरूम प्रयोग करना होता था। खाने में रोटी और चावल मिलते थे। दिन भर में सिर्फ 30 मिनट कोठरी से बाहर समय गुजारने की इजाजत होती थी और शारीरिक संबंधों को लेकर पुलिस अपमानजनक तरीके से पूछताछ करती थी।
संयुक्त अरब अमीरात में शादी से पहले संबंधों को क़ानूनी मान्यता मिलने के बाद भी अस्पताल विवाहित माता पिता को ही जन्म प्रमाण पत्र जारी करते हैं। प्रमाण पत्र ना हो तो बच्चों के लिए चिकित्सा और शिक्षा जैसी सुविधाएं हासिल करने में बेहद कठिनाइयां आती हैं। 25 वर्षीय सीते हनी कहती है कि कानून बदलने के बाद भी मुश्किलें बढ़ रही हैं। वह आप को जेल नहीं ले जाएंगे और चाहते हैं कि आप बच्चे को जन्म भी ना दें। गर्भपात के बारे में सोच भी नहीं सकते क्योंकि एक गंभीर अपराध है। कुछ नहीं तो यूएई सरकार इतना ही कर दे कि वह पासपोर्ट बनवा कर हम लोगों को घर भिजवा दे।
संयुक्त अरब अमीरात की एडवाइजरी फेडरल नेशनल काउंसिल के सदस्य बेहलोल अलफलासी के अनुसार अब एक कानून है जिसके आधार पर उनकी मदद की जा सकती है। 2 जनवरी को लागू होने वाले इस कानून के अंतर्गत जो माता-पिता अपने बच्चों का पंजीकरण कराने में नाकाम रहते हैं उन्हें कम से कम 2 साल की जेल का सामना करना पड़ेगा।


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