ग़ाज़ा अस्पताल पर इज़रायली हमले को लेकर दुनिया भर में आक्रोश
कनाडा, मिस्र, ईरान और सऊदी अरब समेत कई देशों ने नस्र अस्पताल पर इज़रायल के हमलों की कड़ी निंदा की है। इस हमले में कम से कम 21 लोग मारे गए, जिनमें पाँच पत्रकार भी शामिल थे। तेहरान ने इसे “बर्बर युद्ध अपराध” बताया। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय संगठनों, जिनमें डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (MSF) और फॉरेन प्रेस एसोसिएशन शामिल हैं, ने भी इस हमले पर “आक्रोश” और “चौंकाने वाला” क़रार देते हुए प्रतिक्रिया दी। हमला चिकित्सा कर्मियों को भी निशाना बना गया।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा:
अस्पताल पर हुआ यह हमला भयावह है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू को दुनिया की अपील मानकर युद्ध-विराम के लिए सहमत होना चाहिए। यह युद्ध अब खत्म होना चाहिए।”
सोमवार को गाज़ा में इज़रायली हमलों में कुल 61 लोग मारे गए। इनमें नस्र अस्पताल पर हमला सबसे बड़ा था, जिसमें पत्रकार मोहम्मद सलामा (अल जज़ीरा के कैमरामैन) भी शहीद हुए। अल जज़ीरा ने इज़रायल पर “सच को दबाने के लिए संगठित अभियान” चलाने का आरोप लगाया। बाद में ख़ान युनुस में एक और पत्रकार हसन दूहान की भी हत्या कर दी गई। इस तरह सोमवार को मारे गए पत्रकारों की संख्या छह हो गई।
नेतन्याहू का ज़िम्मेदारी से भागना
इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने नस्र अस्पताल पर बमबारी को “दुर्भाग्यपूर्ण हादसा” कहकर टालने की कोशिश की। लेकिन सवाल यह है कि जब हमले में 21 निर्दोष लोग, जिनमें पत्रकार और डॉक्टर शामिल हैं, मारे गए तो इसे “हादसा” कैसे कहा जा सकता है? यह इज़रायली सेना की सुनियोजित नीति का हिस्सा है — स्वास्थ्य केंद्रों, पत्रकारों और मानवीय काम करने वालों को निशाना बनाना। यह पहला मौका नहीं है, बल्कि नेतन्याहू की सत्ता में इज़रायली फौज लगातार प्रेस और आम नागरिकों को टारगेट कर रही है।
ट्रंप का “निर्णायक अंत” वाला झूठ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया कि दो-तीन हफ़्तों में ग़ाज़ा युद्ध का “निर्णायक अंत” हो जाएगा। असल में यह “निर्णायक अंत” नहीं बल्कि ग़ाज़ा के बच्चों और पत्रकारों की सामूहिक हत्या है। ट्रंप का यह बयान स्पष्ट करता है कि वॉशिंगटन नेतन्याहू के युद्ध अपराधों को ढाल देने का काम कर रहा है। इंसानी ज़िंदगियों के क़त्लेआम को “एंड गेम” बताना, अमेरिका की गिरती नैतिकता का सबूत है।
यह तो स्पष्ट है कि, नेतन्याहू और ट्रंप दोनों ही इस युद्ध को राजनीतिक लाभ और सत्ता की मजबूती के लिए चला रहे हैं। अस्पतालों, पत्रकारों और बच्चों को टारगेट करना इनके अपराधों की गवाही देता है। यह समय है कि दुनिया इन नेताओं की असली सूरत पहचाने और खुले तौर पर इन्हें युद्ध अपराधी घोषित करे।


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