ईरान में तेल और गैस की ख़ुश्बू से अचानक बढ़ गई अमेरिका की “चिंता”

ईरान में तेल और गैस की ख़ुश्बू से अचानक बढ़ गई अमेरिका की “चिंता”

ईरान ने हाल ही में एक बड़े ऊर्जा भंडार की खोज की है, जिसमें लगभग 10 हज़ार अरब घन फीट गैस और 200 मिलियन बैरल कच्चा तेल शामिल है। यह खोज ईरान के लिए ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, लेकिन इसके साथ ही सोशल मीडिया पर अमेरिकी प्रतिक्रिया को लेकर तीखी टिप्पणियाँ भी देखने को मिली हैं।

कई यूज़र्स का कहना है कि जब भी ईरान किसी नई तकनीकी या ऊर्जा उपलब्धि की घोषणा करता है, तब अमेरिका अचानक “ईरानी जनता की आज़ादी” और “लोकतंत्र” के नाम पर चिंता जताने लगता है। आलोचकों के अनुसार, यह चिंता वास्तव में ईरान के संसाधनों पर नियंत्रण पाने की कोशिश का एक बहाना होती है।

इतिहास भी इस दावे की पुष्टि करता है। CIA के गुप्त दस्तावेज़ों के अनुसार, अगस्त 1953 में अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर डॉ. मोहम्मद मोसद्दिक की लोकतांत्रिक सरकार को गिराने की साज़िश रची थी, क्योंकि उन्होंने तेल उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया था। अमेरिकी और ब्रिटिश कंपनियों को डर था कि इससे उनका आर्थिक प्रभाव खत्म हो जाएगा।

इसी तरह, विशेषज्ञों का मानना है कि तेल और गैस कई दशकों से अमेरिकी विदेश नीति की असली प्रेरणा शक्ति रहे हैं। चाहे 1991 का खाड़ी युद्ध हो या 2003 का इराक पर अमेरिकी हमला, हर बार ऊर्जा संसाधन ही पृष्ठभूमि में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। अमेरिका ने सऊदी अरब और वेनेज़ुएला जैसे देशों में भी अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप किया है।

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने व्यंग्य करते हुए लिखा कि “जैसे ही ईरान तेल या गैस का नया भंडार खोजता है, अमेरिका को अचानक ईरानी जनता की आज़ादी की चिंता सताने लगती है।”एक अन्य यूज़र ने लिखा, “तेल की खुशबू आते ही वाशिंगटन को ‘डेमोक्रेसी’ याद आ जाती है।” यह खोज न सिर्फ ईरान की ऊर्जा स्वतंत्रता को मजबूत करेगी बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी एक नई भू-राजनीतिक चुनौती पेश करेगी।

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