हिज़्बुल्लाह का ख़ौफ़ जिसने इजरायलियों को परेशान कर दिया है
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 60,000 लोगों की आबादी वाले उत्तरी इलाकों के 20% इज़रायली निवासियों ने संघर्ष-विराम के बाद अपने घर वापस लौटने की हिम्मत जुटाई है। इसके विपरीत, लेबनानी नागरिक संघर्ष-विराम के शुरुआती घंटों से ही घर लौटने लगे थे।संघर्ष-विराम को लगभग पाँच हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन वाशिंगटन पोस्ट ने बताया है कि भले ही कब्जे वाले इलाकों में सामान्य जीवन लौट आया हो, फिर भी हजारों इज़रायली अपने घर लौटने को तैयार नहीं हैं।
इज़रायलियों का सरकार पर विश्वास, पूरी तरह ख़त्म
इज़रायलियों ने अखबार से बात करते हुए स्वीकार किया कि 7 अक्टूबर की घटना के बाद से, “सुरक्षा बलों और सरकार पर हमारा विश्वास पूरी तरह ख़त्म हो गया है और वह विशवास अब तक बहाल नहीं हो पाया है।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संघर्ष विराम के दौरान भी इज़रायल के हमलों के चलते इज़रायली शासन की दीर्घकालिक रणनीति और उत्तरी इलाकों में इज़रायलियों की सुरक्षा के लिए शांति स्थापना के प्रयासों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
हिज़्बुल्लाह के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि इज़रायली बल लेबनान में बने रहे, तो संघर्ष-विराम के 61वें दिन वे अलग रणनीति अपनाएंगे। उत्तर के गांवों और शहरों में रहने वाले 60,000 ज़ायोनियों में से कई को अपने परिवारों के साथ, एक साल से अधिक समय तक होटलों या आश्रयों में रहना पड़ा है।
हिज़्बुल्लाह के हमलों ने कब्जे वाले इलाकों में इज़रायली शासन के ठिकानों को काफी हद तक तबाह कर दिया है। इज़रायली अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि लेबनानी प्रतिरोध ने लगभग 20,000 ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करते हुए उनके ठिकानों पर हमले किए हैं।
हिज़्बुल्लाह ने कभी भी आम नागरिकों पर हमला नहीं किया
हिज़्बुल्लाह के तीव्र हमलों ने ज़ायोनियों की शांति छीन ली है और उन्हें अपने घर लौटने से रोक दिया है। हालांकि यह भी वास्तविकता है कि, हिज़्बुल्लाह ने कभी भी निर्दोष और आम नागरिकों पर हमला नहीं किया है। हिज़्बुल्लाह ने केवल सैन्य ठिकानों पर ही हमला किया है। इसके विपरीत इज़रायली हमले में अधिकतर निर्दोष और आम नागरिक ही शहीद हुए हैं।