सीरियाई कुर्दों का एलान: हम अपने हथियार ‘जूलानी’ को नहीं सौंपेंगे

सीरियाई कुर्दों का एलान: हम अपने हथियार ‘जूलानी’ को नहीं सौंपेंगे

अमेरिका और फ्रांस की तमाम कोशिशों और मध्यस्थता के बावजूद सीरियाई विद्रोहियों और कुर्द मिलिशिया के बीच जारी टकराव का अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक, सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज़ (SDF) के प्रवक्ता फ़रहाद शामी ने मंगलवार को सीरियाई विद्रोहियों को सख़्त चेतावनी दी है कि, कुर्द लड़ाके किसी भी हाल में अपने हथियार नहीं डालेंगे।

डेमोक्रेटिक फोर्सेज़ दरअसल कुर्द लड़ाकों का गठबंधन है जो सीरिया के पूर्वी, उत्तरपूर्वी और उत्तरी इलाकों में, ख़ासतौर पर दीर अल-ज़ोर, हसाका और अलेप्पो प्रांतों में सक्रिय है। जब तक बशर अल-असद की सरकार सत्ता में थी, तब तक कुर्द समूह अमेरिकी नीतियों के तहत सीरिया में अलगाववाद और विघटन की आवाज़ बुलंद करते रहे। लेकिन असद की सत्ता के कमज़ोर होते ही अब कुर्द खुद को सत्ता में हिस्सेदार बनाना चाहते हैं।

हाल ही में अमेरिका और फ्रांस की मध्यस्थता में कुर्द प्रतिनिधिमंडल और सीरियाई विद्रोही गुटों के बीच एक समझौते की कोशिश हुई थी, लेकिन दोनों पक्षों ने इसकी विफलता की पुष्टि की। उत्तर और पूर्वी सीरिया के कुर्द-नियंत्रित क्षेत्रों में बनी कथित ‘स्वायत्त प्रशासन’ ने बीते रविवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि दमिश्क पर काबिज़ विद्रोही सरकार से बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकला।

20 मार्च 2025 को सीरियाई विद्रोही सरकार के प्रमुख ‘अबू मुहम्मद अल-जूलानी’ और SDF के प्रमुख ‘मज़लूम आबदी’ ने एक समझौते पर दस्तख़त किए थे। इस समझौते का उद्देश्य कुर्दों के नियंत्रण वाले उत्तरपूर्वी क्षेत्रों के सैन्य और असैन्य ढांचों को विद्रोही सरकार की संरचना में शामिल करना था। समझौते में देशभर में युद्ध-विराम, सीमा चौकियों, हवाई अड्डों और तेल-गैस संसाधनों को दमिश्क़ सरकार को लौटाना और कुर्दों के सांस्कृतिक व राजनीतिक अधिकारों को सीरियाई राष्ट्र के हिस्से के रूप में मान्यता देने की बात शामिल थी।

लेकिन इसके कुछ ही हफ्तों बाद, मई 2025 में जूलानी ने कुर्दों को धमकियां देनी शुरू कर दीं और अपने लड़ाकों को अलेप्पो प्रांत के ‘मनबिज’ क्षेत्र में स्थित ‘तशरीन डैम’ के आसपास तैनात कर दिया। SDF के प्रवक्ता ने साफ कहा कि मौजूदा हालात में कुर्द लड़ाके अपना हथियार जोलानी के नेतृत्व वाली विद्रोही सरकार को हरगिज़ नहीं सौंपेंगे।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि एक ऐसा संविधान पास होता है जिसमें कुर्दों के अधिकारों को मान्यता दी जाती है, तो कुर्द लड़ाके जूलानी की सेना में शामिल हो सकते हैं। प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि कुर्द युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी तो वे अपने समुदाय की रक्षा हर हाल में करेंगे।

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