‘ग़ाज़ा बमबारी’ पर इज़रायली रक्षामंत्री का शर्मनाक बयान, “ग़ाज़ा जल रहा है”
इज़रायल के रक्षामंत्री इस्राइल काट्ज़ ने ग़ाज़ा पर बढ़ते हमलों पर खुलकर खुशी जताई। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी फ़ार्स के अनुसार, काट्ज़ ने मंगलवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा – “ग़ाज़ा जल रहा है और सेना लोहे की मुट्ठी से लड़ रही है।” यह बयान उस समय आया जब इज़रायली सेना ने ग़ाज़ा शहर में ज़मीनी हमले शुरू कर दिए और रातभर की बमबारी में दर्जनों लोग मारे गए या घायल हुए।
काट्ज़ ने दावा किया कि सेना, बंधकों की रिहाई और हमास को हराने के लिए लड़ रही है और यह अभियान “मिशन पूरा होने तक” जारी रहेगा। लेकिन फ़िलिस्तीनी सूत्रों के अनुसार, इज़रायली सेना ने पूरी रात ग़ाज़ा के रिहायशी इलाक़ों को निशाना बनाया। समाचार एजेंसी वफ़ा के मुताबिक, अल-दर्ज, सबरा और दैर अल-बलह इलाक़ों में कई घर ढह गए और दर्जनों लोग मारे गए या मलबे में दब गए।
स्थानीय मीडिया ने इसे “व्यापक नरसंहार” बताया है, जिसमें आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। अमेरिकी वेबसाइट एक्सिओस ने रिपोर्ट दी कि सोमवार रात से इज़रायली सेना ने ग़ाज़ा में ज़मीनी कार्रवाई शुरू की। यह घटनाक्रम ठीक कुछ घंटे बाद हुआ जब इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से तेल अवीव में मुलाक़ात की।
इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा के आवासीय इलाक़ों पर लॉन्ग-नाइट बमबारी और ज़मीनी हमलों के अंजाम में आम नागरिकों की हत्याएँ मानवता के विरुद्ध सोचे-समझे कदम हैं। जिस रक्षामंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि “ग़ाज़ा जल रहा है”, उसने न केवल शोक और संवेदना का पैमाना खो दिया है बल्कि युद्ध के भयावह मानवीय परिणामों को जश्न में बदलकर गम्भीर नैतिक पतन दिखाया है।
बंधकों की रिहाई और सुरक्षा के नाम पर चलाए जा रहे ये ऑपरेशन्स अगर नागरिकों की जान और घरों को निशाना बना रहे हैं तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुरूप तुरंत रोका जाना चाहिए। स्थानीय रिपोर्टें जिस तरह घरों के मलबे के नीचे शव और घायल दिखाती हैं, वह ″सुरक्षा″ के दावे को नकारती हैं और बड़े पैमाने पर अपरिहार्य नागरिक हताहतों की पुष्टि करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय, मानवाधिकार संगठनों और स्वतंत्र जाँच आयोगों को तत्काल सक्रिय होकर घटनाओं की निष्पक्ष, त्वरित और पारदर्शी जाँच सुनिश्चित करनी चाहिए और जहां ज़रूरी हो, जवाबदेही लगानी चाहिए। हिंसा की भाषा जो भी हो — वह कभी भी मानव जीवन और गरिमा की जंग को सही ठहरा नहीं सकती; आज समय है कि युद्ध बंद हो, मानवीय राहत पहुँचे और न्याय कायम हो।


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