शर्मनाक: ठंड के कारण फिलिस्तीनी नवजातों बच्चों की दर्दनाक मौत
“ख़ान यूनुस के मवासी क्षेत्र में कड़ाके की ठंड के कारण एक और नवजात का दिल धड़कना बंद कर गया।” यह खबर आज फिलिस्तीनी मीडिया ने प्रकाशित की। “सीला महमूद अल-फसीह” दूसरी नवजात बच्ची है, जो पिछले एक हफ्ते के अंदर ग़ाज़ा पट्टी में हड्डियां चीर देने वाली ठंड के कारण, इज़रायली बमबारी और नरसंहार के साए में अपनी जान गंवा चुकी है।
इस नवजात के पिता का कहना है कि उनकी सात महीने की बेटी के दिल ने भीषण ठंड के कारण धड़कना बंद कर गया। पिछले शुक्रवार की सुबह, फिलिस्तीनी मेडिकल सूत्रों ने बताया कि “आयशा अदनान सुफ़ियान अल-क़सास” नामक एक अन्य नवजात बच्ची ने ख़ान यूनुस के मवासी क्षेत्र में शरणार्थियों के एक टेंट में कड़ाके की ठंड के कारण दम तोड़ दिया।
भूख और कुपोषण के साथ-साथ ग़ाज़ा पट्टी पर लगातार बमबारी और शरणार्थियों के टेंटों को जलाए जाने के बीच अब सर्दी का कहर भी फिलिस्तीनी नवजातों की जान ले रहा है। कब्जाधारी इज़रायली सैनिक मानवीय सहायता को ग़ाज़ा पट्टी तक पहुंचने से रोककर, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता के बीच अपने नरसंहार के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
लेकिन इन नवजातों और अन्य फिलिस्तीनी बच्चों की दर्दनाक शहादतें भी ग़ाज़ा पट्टी के लोगों की हिम्मत और इरादे को तोड़ नहीं पाई हैं। पिछले हफ्ते, एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया था, जिसमें एक फिलिस्तीनी पिता अपने शहीद बच्चों के शवों के पास खड़ा होकर कह रहा था, “हमने अल्लाह के साथ सौदा किया है। अल्लाह ने खरीदा और हमने स्वर्ग के बदले बेच दिया… या तो जीत या शहादत।” वह नेतन्याहू और उसके सैनिकों पर चिल्लाते हुए कह रहा था कि इस युद्ध में उनके निशाने पर नागरिक और बच्चे हैं।
बता दें कि, इज़रायल ने ग़ाज़ा पट्टी में किसी भी प्रकार की मानवीय सहायता पर रोक लगा दी है। वह लगातार शरणार्थी शिविर पर भी हमला कर रहा है। ग़ाज़ा के मासूम बच्चों, महिलाओं, बुज़र्गों, नवजवानों को भूख, प्यास, और इज़रायली बमबारी के साथ साथ, ठंड के कारण भी अपनी जान गंवानी पड़ रही है। उनके नरसंहार, और उनके ऊपर होने वाले अत्याचार पर संयुक्त राष्ट्र, अरब देश समेत पूरा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मूक दर्शक बना हुआ है।