ग़ाज़ा को भोजन नहीं, बम भेजो: इज़रायली सुरक्षामंत्री

ग़ाज़ा को भोजन नहीं, बम भेजो: इज़रायली सुरक्षामंत्री 

ऐसा लगता है जैसे नेतन्याहू कैबिनेट में इस बात के लिए स्पर्धा चल रही है कि, कौन मंत्री कितना क्रूर, विवादित और बेशर्मी भरा बयान दे सकता है। कभी कोई मंत्री यह बयान देता है कि, हमें इस बात बात पर गर्व है कि, हमने ग़ाज़ा में खाना पानी बंद कर दिया, तो कभी कोई मंत्री यह बयान देता है कि,  क़तर में मौजूद हमास के नेताओं को मार दिया जाना चाहिए।सबसे ज़्यादा विवादित बयान देने वालों का अगर नाम लिया जाए तो उसमे इज़रायल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री बेन-गविर का नाम सबसे आगे है।

ऐसे वक़्त में जब ग़ाज़ा पट्टी में खाने, दवाइयों और पीने के पानी की कमी की तस्वीरें दुनियाभर के मीडिया में छाई हुई हैं, इज़रायल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री ने मानवीय मदद भेजे जाने की आलोचना करते हुए ग़ाज़ा पर बमबारी बढ़ाने की मांग की है। फार्स न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इज़रायली मंत्री इतामार बेन-गविर ने रविवार की रात एक वीडियो जारी कर ग़ाज़ा में सीमित मानवीय सहायता भेजे जाने की निंदा की और इसे “नैतिक दिवालियापन” क़रार दिया। समझ में नहीं आता कि, इतना क्रूर बयान देने के बाद कोई इंसान अपने बच्चों के सामने कैसे जाता होगा? उन्हें प्यार कैसे करता होगा? या फिर इनके पूरे परिवार की भी यही मानसिकता है?

बेन-गविर ने कहा:
“ग़ाज़ा को जो भेजा जाना चाहिए, वो खाना नहीं बल्कि बम है — धमाके के लिए, हमले के लिए, फ़िलिस्तीनियों को पलायन पर मजबूर करने के लिए और इस युद्ध में जीत के लिए।  इज़रायली सुरक्षा मंत्री बेन-गविर का यह बयान इस बात की पुष्टि के लिए काफ़ी है कि, इज़रायली सेना ग़ाज़ा में कितने अत्याचार और बर्बरता कर रही है। और इस बात से यह भी साबित हो जाता है कि, नेतन्याहू कैबिनेट में ज़रा भी इंसानियत और मानवता नहीं है।

एक दिन पहले, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इज़रायल पर ग़ाज़ा में भोजन भेजने का दबाव बढ़ा, तो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कुछ ट्रकों को सीमित मात्रा में खाने के सामान के साथ ग़ाज़ा में प्रवेश की इजाज़त दी। यह अनुमति उस लंबे अंतराल के बाद दी गई जब नेतन्याहू ने महीनों तक भोजन को ग़ाज़ा में घुसने नहीं दिया था।

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टें ग़ाज़ा में भयावह मानवीय हालात की पुष्टि करती हैं। कई महीनों से जारी घेराबंदी और बुनियादी चीज़ों पर भारी पाबंदियों ने इस क्षेत्र को भुखमरी और बीमारियों के गंभीर ख़तरे में डाल दिया है। जारी की गई तस्वीरों में लंबी-लंबी कतारें, साफ़ पानी की कमी और ठप अस्पतालों की झलक मिलती है। कुछ इलाक़ों में बच्चों को कई दिनों तक भरपेट खाना नसीब नहीं हुआ, और उनमें गंभीर कुपोषण की रिपोर्टें सामने आई हैं।

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