दक्षिणी यमन पर सऊदी गठबंधन के लड़ाकों ने किया हमला
सनआ शहर में यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार में एक सैन्य सूत्र ने अल-जदीदा के दक्षिणी मोर्चों में सऊदी गठबंधन द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन के 55 नए मामले दर्ज करने की खबर दी।
अल-मयादीन नेटवर्क के अनुसार इस सूत्र ने बताया कि सऊदी गठबंधन के युद्धक विमानों ने यमन के दक्षिण-पश्चिम में स्थित ताइज़ के पश्चिम में होदेइदाह के दक्षिण में हेज़ शहर और मकबानेह को चार बार निशाना बनाया। यमन की शेबा समाचार एजेंसी ने सैन्य संचालन कक्ष के एक सूत्र का हवाला देते हुए यह भी बताया कि सऊदी गठबंधन द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन के मामलों में हेज़ पर जासूसी विमानों का हमला और हेज़ और अल-जबलिया के आसमान में जासूसी ड्रोन की उड़ान भी देखी गयी है।
समाचार एजेंसी ने सादा में एक सुरक्षा सूत्र के हवाले से यह भी बताया कि सऊदी अरब के सीमा रक्षक बलों ने शुक्रवार को सादा राज्य के रजेह इलाके में एक महिला को गोली मारकर घायल कर दिया। हुदायदाह बन्दरगाह हिंसा प्रभावित यमनी आबादी तक जीवनरक्षक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिये बेहद अहम है।
अनेक वर्षों से हिंसा में झुलस रहे यमन में दो करोड़ 30 लाख से अधिक लोग भूख, बीमारी और अन्य जोखिमों का सामना करना रहे हैं वहीं बुनियादी सेवाएँ व अर्थव्यवस्था धवस्त हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ हर तीन में से दो यमनी नागरिक – दो करोड़ पुरुष, महिलाएँ और बच्चे – अत्यधिक निर्धनता में रहने के लिये मजबूर हैं।
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता ने बताया कि हवाई कार्रवाई से सना में संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों के रिहायशी परिसर भी क्षतिग्रस्त हुआ है। दिसम्बर 2018 में यूएन की मध्यस्था में ऐतिहासिक हुदायदाह समझौता हुआ था जिसके बाद युद्धविराम की निगरानी और शहर के असैन्यीकरण के लिये यूएन मिशन को स्वीकृति मिली थी। लाल सागर पर स्थित यह बन्दरगाह शहर मानवीय राहत सामग्री के प्रवेश द्वार और यमन के अधिकाँश निर्यात के नज़रिये से बेहद अहम है।
यूएन मिशन ने शुक्रवार को एक बयान जारी करके सभी पक्षों को ध्यान दिलाया है कि आम नागरिकों की रक्षा की जानी होगी, निर्दोष यमनी नागरिकों को हताहत होने से बचाना होगा और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को होने वाली क्षति को रोकना होगा। मिशन के मुताबिक़ हुदायदाह में सैन्य टकराव जारी रहने से यमनी लोगों के लिये विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं चूँकि हुदायदाह बन्दरगाह बड़ी आबादी के लिये एक अहम जीवनरेखा है।
मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिये यूएन कार्यालय के अनुसार देश में 80 प्रतिशत आयातित सामान यहीं से होकर गुज़रता है। यमनी जनता भोजन, दवाओं और ईंधन के लिये 80 से 90 प्रतिशत आयात पर निर्भर हैं।