ब्रिटिश सेना से 10 हज़ार सैनिकों का इस्तीफा, युद्ध से उपजा तनाव और मनोरोग बना कारण ब्रिटिश डेली मेल ने रविवार को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि इराक-अफ़ग़ानिस्तान युद्ध में ब्रिटिश सेना भागीदारी के परिणामस्वरूप पिछले 20 वर्षों में हजारों ब्रिटिश सैनिकों ने मनोवैज्ञानिक कारणों से सेना छोड़ी है।
ब्रिटिश सेना पर लिखते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल 500 सैनिकों ने चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक बीमारियों से पीड़ित होने के बाद इस्तीफा दिया। एक वरिष्ठ ब्रिटिश सैन्य क्लिंटन लैंगस्टन ने डेली मेल को बताया कि इराक युद्ध के मनोवैज्ञानिक प्रभाव उनकी वापसी के बाद वर्षों तक बने रहेंगे। उसने अपने अनुभव का हवाला दिया और कहा कि वह मारे जाने के डर से बीमार पड़ गया था और 2004 में उसने पत्नी और बच्चों को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि उसकी मृत्यु के बाद पत्र खोले जाएं।
वरिष्ठ ब्रिटिश सैन्य ने डेली मेल को बताया कि मुझे एक और डर था और वह मेरे परिवार को खोने का डर था जिसने मुझे अपना कर्तव्य करने से रोका और सैनिकों के बैरकों में जाने के बजाय मैंने रहने और सक्षम होने के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश की। डेली मेल की रिपोर्ट है कि ब्रिटिश सेना ने समस्या के समाधान के प्रयास में सैनिकों को 24 घंटे परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए २२ मिलियन पाउंड खर्चा किया जा चूका है।
अगस्त 2021 में उच्च आंकड़ों की सूचना से पता चलता है कि 43,000 ब्रिटिश सैनिक वर्तमान में चिंता-विरोधी, अवसाद-रोधी और नींद की गोलियां ले रहे थे। हाल के वर्षों में यह संख्या तेजी से बढ़ी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 से अगस्त 2021 तक 60 ब्रिटिश सैनिकों ने आत्महत्या की थी।