चार इज़रायली सैनिकों के शव सौंपे जाने के बाद 620 फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की रिहाई शुरू
गुरुवार तड़के, स्थानीय मीडिया ने रिपोर्ट दी कि इज़रायल और फ़िलिस्तीनी पक्षों के बीच समझौते के तहत चार इज़रायली सैनिकों के शव सौंपे जाने के बाद फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
शवों की सुपुर्दगी और मीडिया से दूरी
अल-जज़ीरा नेटवर्क के अनुसार, चार इज़रायली सैनिकों के शवों को किसी भी आधिकारिक समारोह या मीडिया कवरेज के बिना रेड क्रॉस को सौंप दिया गया, जिसके बाद ये शव इज़रायली सुरक्षा बलों को भेजे गए।
फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की रिहाई की प्रक्रिया
इसी दौरान, रेड क्रॉस की बसें ओफ़र जेल पहुंचीं, जहां से 620 फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को रिहा किया गया। इन क़ैदियों को पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) के बितूनिया इलाक़े में ले जाया गया, जहां उनके परिवार और समर्थकों द्वारा स्वागत की उम्मीद की जा रही है।
रिहाई की पृष्ठभूमि और मानवीय समझौता
यह क़दम उस मानवीय समझौते के तहत उठाया गया है जिसमें इज़रायल और फ़िलिस्तीनी संगठनों के बीच क़ैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया पर सहमति बनी थी। इससे पहले भी कई बार इस तरह की अदला-बदली हुई है, जहां फ़िलिस्तीनी संगठन और इज़रायल के बीच हुए समझौते के तहत, इज़रायली सैनिकों के शव या ज़िंदा क़ैदियों को रिहा करने के बदले में बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को रिहाई मिली है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस क़दम को फ़िलिस्तीनी समाज में एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि कई सालों से जेलों में बंद क़ैदियों की रिहाई उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। वहीं, इज़रायल के लिए इस समझौते को उसकी हार के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि नेतन्याहू ने “ग़ाज़ा नरसंहार ” से पहले कहा था कि, हम “ग़ाज़ा पट्टी” को हमास का क़ब्रिस्तान बना देंगे और अपने बंधकों को सुरक्षित वापस लाएंगे, लेकिन पंद्रह महीने तक ग़ाज़ा में निर्दोष और बेगुनाहों का “नरसंहार” करने के बाद उन्हें हमास के साथ समझौता करने पर मजबूर होना पड़ा।