यमन का समर्थन कर सऊदी और अंधभक्तों के निशाने पर आईं राणा अय्यूब

यमन का समर्थन कर सऊदी और अंधभक्तों के निशाने पर आईं राणा अय्यूब यमन पिछले 7 साल से सऊदी अतिक्रमणकारी गठबंधन के बर्बर हमलों का सामना कर रहा है।

यमन में जारी सऊदी अरब नीत गठबंधन की हिंसा और इस देश की पूर्ण नाकाबंदी के कारण मध्य एशिया का यह गरीब देश सदी की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी का सामना कर रहा है।

सऊदी अरब की ओर से यमन की नाकाबंदी के कारण इस देश में गंभीर मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है। यमन खाद्य सामग्री, पेट्रोलियम पेयजल की भारी किल्लत से जूझ रहा है वहीं इस देश में बिजली और परिवहन व्यवस्था ठप होकर रह गयी है। सदी के सबसे भीषण मानवीय संकट का सामना कर रहे यमन को आले सऊद ने अपनी नाकाबंदी में ले रखा है। हालात इतने बुरे हैं कि यमन में न पीने योग्य पानी है न ज़रूरत भर खाना। देश महामारी , भुखमरी और सऊदी बमबारी का सामना कर रहा है।

वहीँ हाल ही में सऊदी अरब ने यमन पर भीषण हवाई हमले किये हैं जिस में अब तक सैंकड़ों लोगों के मारे जाने की खबर है जिस पर विश्व समुदाय मुक दर्शक बना है। यमन में जारी नस्लीय सफाये और नरसंहार पर अगर आवाज़ उठायी भी जा रही है तो सऊदी अरब रियाल के दम पर वह आवाज़ दबा दे रहा है।

वैश्विक मंच से इतर जब पत्रकार, बुद्धजीवी वर्ग या अन्य लोग यमन में जारी हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं तो सऊदी भक्त और अंधभक्तों का टोला इन लोगों के खिलाफ हिंसक और बदतमीज़ी पर उतर आता है जिसका ताज़ा उदाहरण प्रख्यात पत्रकार राणा अय्यूब हैं जिन्होंने यमन में सऊदी अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठायी तो सऊदी और अंधभक्त उनके खिलाफ बयानबाज़ी और ट्रोलिंग पर उतर आये। यही नहीं बल्कि उन्हें गालियां देते हुए रेप और मर्डर की धमकियाँ तक भी दे डाली।

राणा अयूब ने यमन में जारी क़त्ले आम केखिलाफ ट्ववीट करने के बाद अपने खिलाफ उठे नफरत के तूफ़ान के खिलाफ ट्वीटर को संबोधित करते हुए कहा मेरे द्वारा यमन के साथ एकजुटता में एक ट्वीट पोस्ट करने और सऊदी हमलों को बंद करने की अपील के बाद, गाली-गलौज, रेप और जान से मारने की धमकी वाले 26.4 हजार ट्वीट्स, वह मुझे आतंकी हमदर्द कह रहे हैं। अधिकांश ट्वीट भारतीय दक्षिणपंथी और सऊदी राष्ट्रवादियों के हैं।

 

सऊदी अरब के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठा कर दक्षिणपंथी, सऊदी अरब समर्थकों के निशाने पार आने वाली राणा अयूब के समर्थन में दुनियाभर से आवाज़ उठ रही है और बड़े पैमाने पर बुद्धिजीवी वर्ग ने उनका समर्थन किया है।

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