ग़ाज़ा में दोबारा एयर स्ट्राइक से नेतन्याहू अपनी सत्ता बचाना चाहते हैं: बंधकों के परिजन
ग़ाज़ा पट्टी पर आज सुबह इज़रायल के सिलसिलेवार हवाई हमलों ने जीवित बंधकों के परिवारों की उम्मीदों को तोड़ दिया है। मंगलवार तड़के बड़े पैमाने पर की आम नागरिकों की मौत हो गई। इज़रायल ने आज सुबह तड़के ग़ाज़ा क्षेत्र में हवाई हमले किए, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 404 फलस्तीनी मारे गए। यह जानकारी अस्पताल के अधिकारियों ने दी।
वहीं इज़रायली बंधकों के परिजनों का कहना है कि इज़रायली मिलिट्री एक्शन से उनका सबसे बड़ा डर सच साबित हुआ है। उन्होंने सरकार पर बंधकों को उनके हाल पर छोड़ने का फैसला करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बंधकों को वापस लाने की प्रक्रिया को जानबूझकर खत्म किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बंधकों और लापता परिवारों के फोरम की ओर से जारी बयान में कहा गया, “परिवारों, अपहृत लोगों और इजरायल के नागरिकों का सबसे बड़ा डर सच हो गया है। इज़रायली सरकार ने बंधकों को उनके हाल पर छोड़ने का फैसला किया।” बयान में इस बात पर हैरानी और गुस्सा जताया गया कि “हमारे प्रियजनों को वापस लाने की प्रक्रिया को जानबूझकर खत्म किया जा रहा है।”
इज़रायली मीडिया के मुताबिक, बंदी सैनिक निम्रोद कोहेन के पिता येहुदा कोहेन ने कहा, “नेतन्याहू अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए एक बार फिर मेरे बेटे सहित बंधकों को खत्म करने और उनकी हत्या करने के लिए काम कर रहे हैं।” बंधक ओमरी मीरान के पिता दानी मीरान ने कहा कि वे नए हमले के बारे में सुनकर ‘डर’ गए। उन्होंने कहा, “आज, मैं पहले से कहीं ज़्यादा चिंतित हूं, मुझे लग रहा था कि मेरा बेटा एक हफ्ते में आजाद हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि युद्धविराम पर बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा गया है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि यह प्रतिनिधिमंडल बेकार है। जब मैंने यह कहा तो लोग मुझ से नाराज हो गए लेकिन मैं सही था।” मीरान ने नए आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ इयाल जमीर के साथ-साथ सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “इस चीफ ऑफ स्टाफ को सरकार के एजेंडे को पूरा करने के लिए चुना गया था और एजेंडा युद्ध है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह एक काला दिन है।”
रमजान के महीने के दौरान हुए इस हमले से वह युद्ध फिर से शुरू हो सकता है, जिसमें पहले ही हजारों फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और गाजा में व्यापक तबाही हुई है। साथ ही, इससे हमास द्वारा बंधक बनाए गए लगभग दो दर्जन इज़रायली बंधकों की स्थिति को लेकर भी सवाल उठते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे अभी भी जीवित हैं।


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