आख़िरकार लेबनान सरकार इज़रायल का मुक़ाबला करने के लिए सक्रिय हुई

आख़िरकार लेबनान सरकार इज़रायल का मुक़ाबला करने के लिए सक्रिय हुई

महीनों की नरमी और टालमटोल के बाद, लेबनान सरकार ने आखिरकार अपने दक्षिणी सीमावर्ती इलाकों में इज़रायली गतिविधियों और हमलों का जवाब देने के लिए सेना तैनात कर दी है।

अंतरराष्ट्रीय डेस्क, फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी:
महीनों से जारी तनाव और इज़रायल द्वारा बार-बार युद्ध-विराम का उल्लंघन करने के बाद, बेरूत सरकार ने अब कदम उठाया है। लेबनान की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी के अनुसार, देश की सेना ने दक्षिणी शहर मीस अल-जबल में अपने सैनिकों को तैनात किया है, क्योंकि इज़रायली सेना की गतिविधियाँ सीमा के पास चिंताजनक रूप से बढ़ रही थीं।

यह तैनाती राष्ट्रपति जोज़फ औन के आदेश पर की गई है, जिन्होंने सेना को किसी भी संभावित इज़रायली सैन्य हमले का सामना करने का निर्देश दिया। यह निर्णय मौजूदा युद्ध-विराम के बावजूद बढ़ते तनाव का संकेत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, इज़रायली सैनिकों की सीमा के पास हलचल देखे जाने के बाद यह कदम उठाया गया। मीस अल-जबल में सैन्य बलों की यह तैनाती, इज़रायली सेना द्वारा करूम अल-मराह इलाके के पास “तैयार मोर्चे” स्थापित करने के जवाब में की गई है। इसके चलते लेबनान ने अतिरिक्त बख़्तरबंद वाहनों और सैनिकों को भी इलाके में भेजा है।

यह सीमा तैनाती राष्ट्रपति जोज़फ औन के उस सख़्त आदेश के बाद हुई, जिसमें उन्होंने पिछले गुरुवार को सेना को अनुमति दी कि किसी भी इज़रायली हमले का जवाब दिया जाए। यह आदेश तब जारी किया गया जब इज़रायल ने बलिदा नगरपालिका भवन पर हमला किया था, जिसमें एक नगर कर्मचारी की मौत हो गई थी। इस घटना ने लेबनान-इज़रायल सीमा पर तनाव को और भड़का दिया।

हालाँकि नवंबर 2024 से लागू युद्ध-विराम अभी भी औपचारिक रूप से बरक़रार है, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में दक्षिणी लेबनान में इज़रायली विमानों द्वारा लगातार हवाई उल्लंघन और हमलों के कारण तनाव फिर से बढ़ गया है।

इज़रायल के सरकारी टीवी चैनल कान ने शुक्रवार को रिपोर्ट दी कि तेल अवीव, लेबनान में अपने सैन्य अभियान को और तेज़ करने पर विचार कर रहा है, और इसका कारण उसने हिज़्बुल्लाह की बढ़ती सैन्य क्षमता को बताया है। इन घटनाओं ने सीमा क्षेत्रों में अस्थिर और तनावपूर्ण माहौल को बनाए रखा है।

इससे पहले हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव शेख़ नईम क़ासिम ने कहा था कि “सरकार की ज़िम्मेदारी है कि, वह दुश्मन को बाहर निकाले, संप्रभुता की रक्षा करे और आक्रमणों को रोके।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमें अपनी एकता को मज़बूत करना चाहिए। हम सरकार से चाहते हैं कि वह एक ठोस योजना बनाए, ताकि सेना इज़रायल के किसी भी हमले का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सके।”

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