ग़ाज़ा संघर्ष-विराम के मुख्य बिंदु

ग़ाज़ा संघर्ष-विराम के मुख्य बिंदु

आख़िरकार इज़रायल और हमास के बीच ग़ाज़ा में संघर्ष-विराम के पहले चरण को लागू करने पर सहमति बन गई है। इस समझौते के तहत 20 इज़रायली बंदियों के बदले 2000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई होगी, हर दिन सैकड़ों मानवीय सहायता ट्रक ग़ाज़ा में प्रवेश करेंगे और विस्थापित लोग अपने घरों को लौट सकेंगे। यह समझौता कब्ज़ा और प्रतिरोध के बीच के सबसे खूनी दौर के अंत की उम्मीद जगाता है।

अंतरराष्ट्रीय बातचीत और ट्रंप की घोषणा
मिस्र में इस हफ्ते इज़रायल और हमास के बीच हुई अप्रत्यक्ष वार्ताओं के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि दोनों पक्षों ने ग़ाज़ा के लिए उनके शांति प्रस्ताव के पहले चरण को लागू करने पर सहमति जताई है। क़तर, जो अमेरिका, मिस्र और तुर्की के साथ मध्यस्थ देशों में से एक है, ने भी पुष्टि की कि दोनों पक्ष “पहले चरण के सभी प्रावधानों और लागू करने की व्यवस्थाओं” पर सहमत हो गए हैं। इस समझौते का उद्देश्य युद्ध को समाप्त करना, इज़रायली और फ़िलिस्तीनी बंदियों की रिहाई तथा ग़ाज़ा में मानवीय सहायता पहुँचाना है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर लिखा — “इज़रायल और हमास के बीच यह समझौता सभी बंदियों की जल्द रिहाई और इज़रायल की सहमति-निर्धारित सीमाओं तक वापसी का प्रतीक है — यह एक मज़बूत, टिकाऊ और स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम है।” क़तरी अख़बार अल-अरबी अल-जदीद ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह समझौता आज दोपहर क़ाहिरा में आधिकारिक रूप से हस्ताक्षरित होगा।

समझौते के मुख्य बिंदु:

एक वरिष्ठ फ़िलिस्तीनी सूत्र के अनुसार, इस समझौते की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित हैं:
1. बंधकों की रिहाई: पहले चरण में 20 जीवित इज़रायली बंधकों को एक साथ छोड़ा जाएगा। मृतकों के शव इज़रायली सेना के आवासीय और शहरी इलाकों से पीछे हटने के बाद सौंपे जाएंगे। रिहाई का पहला चरण संघर्षविराम शुरू होने के 72 घंटे बाद होगा।

2. फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई: इज़रायल 2000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा, जिनमें 250 आजीवन कारावास की सज़ा वाले और 1700 वे कैदी होंगे जिन्हें पिछले दो वर्षों में गिरफ़्तार किया गया था।

3. मानवीय सहायता: समझौते के तहत ग़ाज़ा में संघर्ष-विराम शुरू होने के बाद पहले पाँच दिनों तक प्रतिदिन कम से कम 400 ट्रक मानवीय सहायता लाएँगे। बाद में यह संख्या बढ़ाई जाएगी।

4. विस्थापितों की वापसी: दक्षिण ग़ाज़ा में फंसे विस्थापितों को ग़ाज़ा शहर और उत्तरी इलाक़ों में लौटने की अनुमति दी जाएगी।

क़ाहिरा में समझौते पर आज दोपहर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। हमास के एक सूत्र के अनुसार, यह सहायता पाँच दिनों के दौरान रोज़ाना कम से कम 400 ट्रकों में आएगी और बाद में बढ़ेगी। विस्थापितों की वापसी संघर्ष-विराम लागू होते ही शुरू हो जाएगी। हमास ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से आग्रह किया है कि, वे इज़रायल को समझौते की सभी शर्तों का पालन करने के लिए बाध्य करें और किसी भी देरी या पीछे हटने से रोकें।

क़तर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने भी पुष्टि की कि दोनों पक्ष पहले चरण की सभी धाराओं पर सहमत हो चुके हैं। इस समझौते का मकसद युद्ध समाप्त करना, सभी बंधकों और कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करना और सहायता पहुंचाना है। इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आज कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता कर अंतिम अनुमोदन देंगे।

दूसरा चरण — बातचीत, चुनौतियाँ और अनिश्चितताएँ
हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रंप योजना के दूसरे चरण पर बातचीत “पहले चरण के लागू होते ही” शुरू होगी। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि सोमवार तक सभी बंधक और शव लौटा दिए जाएंगे।

इस रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की यह योजना कुल 20 धाराओं पर आधारित है — जिनमें प्रमुख हैं: युद्ध का पूर्ण अंत, सभी बंदियों की रिहाई, हमास का निरस्त्रीकरण और इज़राइल की क्रमिक वापसी। यह समझौता अमेरिका, मिस्र, क़तर और तुर्की की गारंटी में हुआ है और ये देश यह सुनिश्चित करेंगे कि जब तक दोनों पक्ष समझौते का पालन करते हैं, युद्ध फिर से शुरू न हो। ट्रंप कानूनी समीक्षा के बाद इसे “युद्ध का स्थायी अंत” घोषित करना चाहते हैं।

दूसरे चरण में एक अंतरराष्ट्रीय संस्था “शांति परिषद (Council of Peace)” के गठन की बात है जो युद्ध के बाद ग़ाज़ा का प्रशासन संभालेगी। इसकी अध्यक्षता ट्रंप करेंगे और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर इसके सदस्यों में होंगे।

हालाँकि अल-अरबी अल-जदीद लिखता है कि शर्म अल-शेख़ समझौता अभी भी कई बिंदुओं पर अस्पष्ट है — जैसे समयसीमा, युद्ध के बाद ग़ाज़ा की प्रशासनिक व्यवस्था और हमास का राजनीतिक भविष्य। इज़राइल, ट्रंप और कई पश्चिमी तथा अरब देशों ने ग़ाज़ा के भविष्य में हमास की भागीदारी को अस्वीकार किया है। ट्रंप की योजना में फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी की सीमित भूमिका का उल्लेख है, बशर्ते उसमें “गंभीर सुधार” किए जाएँ।

सबसे बड़ी चुनौती हमास का निरस्त्रीकरण है। इज़रायल इस पर ज़ोर देता है, जबकि फ़िलिस्तीनी सूत्रों का कहना है कि, जब तक इज़रायली सेना फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर मौजूद है, हमास इस शर्त को स्वीकार नहीं करेगा। इसके अलावा, इज़रायल की वापसी की समयसीमा और बंदियों की रिहाई से उसके संबंधों पर भी मतभेद हैं।

अरब देश जो ट्रंप योजना का समर्थन कर रहे हैं, कहते हैं कि इस समझौते का अंतिम परिणाम एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना होना चाहिए — लेकिन नेतन्याहू ने साफ़ कहा है कि ऐसा कभी नहीं होगा।

हमास ने यह प्रस्ताव ज़रूर दिया है कि वह ग़ाज़ा का प्रशासन फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी के तहत एक टेक्नोक्रेटिक सरकार को सौंप सकता है, जिसे अरब और इस्लामी देशों का समर्थन होगा, लेकिन उसने किसी भी विदेशी शासन — जिसमें टोनी ब्लेयर की भूमिका भी शामिल है — को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।

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