जूलानी का ख़ुलासा: रूस ने बशर अल-असद के साथ विश्वासघात किया

जूलानी का ख़ुलासा: रूस ने बशर अल-असद के साथ विश्वासघात किया

सीरिया की विद्रोही सरकार के प्रमुख अबू मोहम्मद जूलानी ने कहा: जब हम हम्स पहुँचे, उस समय रूसियों ने जंग के मैदान से दूरी बना ली और पूरी तरह सैन्य परिदृश्य से हट गए। यह भी उसी समझौते का हिस्सा था जो हमारे और उनके बीच हुआ था।

अवल फ़ार्स के अनुसार, अहमद अल-शरअ (अबू मोहम्मद अल-जूलानी), सीरिया के राष्ट्रपति, ने टीवी चैनल “अल-इख़बारिया अल-सूरिया” के साथ एक इंटरव्यू में पहली बार इंक़िलाबी ताक़तों और रूस के बीच हुए एक गुप्त समझौते की जानकारी दी। यह खुलासा उस समय हुआ है जब रूस सालों से सीरियाई गृहयुद्ध में बशर अल-असद की सरकार का मुख्य समर्थक रहा है।

जूलानी ने बताया कि, जब उनकी फ़ौजें हम्स की तरफ बढ़ीं तो रूसियों के साथ बातचीत शुरू हुई। उन्होंने ज़ोर दिया कि हम्स पर हमले के दौरान रूसी फौजों ने पूरी तरह से जंग का मैदान छोड़ दिया। उनके अनुसार, यह कदम दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत उठाया गया था।

सवाल यह भी उठ रहा है कि जूलानी ने अचानक यह खुलासा क्यों किया? क्या यह अमेरिका या इज़रायल विरोधी गुटों में दरार डालने की कोई कोशिश है, या फिर रूस और असद सरकार के रिश्तों पर शक की परछाईं डालने की रणनीति? हालाँकि अभी तक रूस की तरफ़ से इस ख़ुलासे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि “रूसियों ने मौजूदा सत्ता को कुछ विशेष वादे दिए और बदले में इस सत्ता ने भी वादे किए, जिन पर दोनों पक्ष अब तक क़ायम हैं।” उनकी यह बात कुछ सीरियाई पत्रकारों के उन दावों की पुष्टि करती है जिनमें मौजूदा विदेश मंत्री असद शैबानी की रूस के साथ बातचीत में अहम भूमिका बताई गई थी।

सीरिया का बंटवारा संभव नहीं, सबकी भलाई दमिश्क़ से जुड़ी है
इंटरव्यू के एक और हिस्से में अहमद अल-शरअ ने सीरिया के बँटवारे से जुड़ी अफ़वाहों को खारिज करते हुए कहा कि उनका मुल्क कभी बँटने वाला नहीं है और किसी भी तरह की स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि, अगर कोई उत्तरी-पूर्वी सीरिया में बँटवारे की कोशिश करेगा तो यह इराक़ और तुर्की जैसे पड़ोसी मुल्कों के लिए भी नुकसानदेह होगा।

जूलानी ने “क़सद” को पूरे कुर्द समाज का प्रतिनिधि मानने से इंकार करते हुए कहा कि उत्तर-पूर्वी सीरिया और प्रांत स्वैदा की भलाई दमिश्क से जुड़ी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सीरिया को रूस के साथ अपने पुराने रिश्तों को धीरे-धीरे और समझदारी से संभालना और बनाए रखना चाहिए।

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