अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सऊदी अरब को बड़ा झटका देते हुए घोषणा की है कि अमेरिका अब यमन में सऊदी अरब के पांच साल पुराने सैन्य अभियान में सहयोग नहीं देगा.
बता दें कि यमन में खिलाफ सऊदी अरब और यूएई ने पिछले पांच साल से सैन्य अभियान छेड़ रखा है जिसमें स्कूली बच्चों समेत आम लोगों की जानें भी गई हैं.
राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन पहली बार विदेश मंत्रालय गए और वहां मौजूद राजनयिकों से बातचीत करने के बाद घोषणा की अब यमन के इस संकट को खत्म करना होगा. क्योंकि यमन में युद्ध की वजह से एक मानवीय संकट और रणनीतिक त्रासदी का जन्म हुआ है. बाइडेन ने स्पष्ट कर दिया है कि अब उनकी सरकार इस मामले में सऊदी अरब की कोई मदद नहीं करेगी
बाइडेन की सरकार में अमेरिका की विदेश नीति खासकर मध्यपूर्व को लेकर कई बड़े बदलाव होने के संकेत मिल रहे हैं बता दें कि डोनाल्ड ट्रम्प समेत कई अमेरिकी नेता विदेश खासकर मध्यपूर्व को लेकर में स्थिरता के नाम पर तानाशाह नेताओं का साथ देते रहे हैं.
जब तक ट्रम्प की सरकार रही, सऊदी अरब को हर मोर्चे पर भरपूर मदद मिलती रही. मानवाधिकार को लेकर खराब रिकॉर्ड के बावजूद सऊदी अरब को ट्रुप सरकार ने आधुनिक हथियार बेचे.
बाइडेन ने अपने चुनावी कैंपेन के दौरान भी मानवाधिकारों को लेकर सऊदी किंगडम के शासकों की कड़ी आलोचना की थी. राष्ट्रपति बनने के बाद भी वो सऊदी के नेताओं से दूरी बनाए रखने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.
सऊदी किंग सलमान के बेटे और उप-रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान ने गुरुवार को एक ट्वीट करते हुए लिखा था: हम राष्ट्रपति बाइडेन के दोस्तों और सहयोगियों के साथ मिलकर विवादों को सुलझाने और क्षेत्र में ईरान और उसके प्रॉक्सी के हमलों के खिलाफ सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर करने का स्वागत करते हैं.
बाइडेन ने गुरुवार को सीजफायर की भी अपील की ताकि यमन को आर्थिक मदद पहुंचाई जा सके और शांति वार्ता शुरू हो सके. बाइडेन ने ये भी घोषणा की कि वह एक अहम अमेरिकी रक्षा सौदे को रद्द कर देंगे हालांकि उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी.
हालांकि, सऊदी अरब बाइडेन सरकार को खुश करने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रहा है अभी कुछ दिन पहले सऊदी अरब ने दो सऊदी-अमेरिकी नागरिकों को सशर्त रिहा कर दिया है और सरकार की अवज्ञा करने के दोषी डॉ. वालिद फितैही की सजा कम कर दी है.