फ़िलिस्तीनी बच्चों और महिलाओं को शहीद करने वाले इज़रायलीसैनिक ‘मानसिक रोगी’ बन चुके हैं: सीएनएन

फ़िलिस्तीनी बच्चों और महिलाओं को शहीद करने वाले इज़रायली सैनिक ‘मानसिक रोगी’ बन चुके हैं: सीएनएन

फ़िलिस्तीनी बच्चों और महिलाओं को शहीद करने वाले इज़रायली सैनिक ‘मानसिक बीमारी’ के शिकार हैं, इस बारे में सीएनएन की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। अमेरिकी प्रसारण संस्था सीएनएन का कहना है कि इज़रायली सैनिक गंभीर मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। ग़ाज़ा में किए गए अत्याचार इन इज़रायली सैनिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार निहत्थे फ़िलिस्तीनी बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाने वाले इज़रायली सैनिकों को अब अपराध बोध ने घेर लिया है और वे मानसिक रोगी बन चुके हैं। यहां तक कि कुछ आत्महत्या करने की सोच रहे हैं।

ग़ाज़ा ऑपरेशन के बाद कई सैनिकों को वापस भेज दिया गया है, लेकिन सैनिक ग़ाज़ा से तो निकल आए हैं पर ग़ाज़ा उनके दिमाग से नहीं निकल पाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, ग़ाज़ा से लौटने वाले इज़रायली सैनिकों में आत्महत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है और वे किसी भी कीमत पर दोबारा ग़ाज़ा जाने के लिए तैयार नहीं हैं। लौटे हुए इन सैनिकों में से एक तिहाई से अधिक मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अपराधबोध ने उनके दिल और दिमाग पर कब्जा कर लिया है, निहत्थे नागरिकों, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की शहादत का श्रेय लेना अब उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है।

सीएनएन के अनुसार 40 वर्षीय एलियान मिज़राही, जो चार बच्चों का पिता था, अक्टूबर 2023 में हमास के हमलों के बाद ग़ाज़ा में तैनात किया गया था। जब वह छह महीने बाद लौटा तो उसके परिवार के अनुसार वह पीटीएसडी (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) का शिकार हो गया। उसे दोबारा ग़ाज़ा भेजा जा रहा था, लेकिन उसने वहां जाने से पहले ही आत्महत्या कर ली। उसकी मां जेनी मिज़राही ने कहा कि वह ग़ाज़ा से तो बाहर निकल आया, लेकिन ग़ाज़ा उसके मन से नहीं निकल सका, और वह युद्ध के बाद के सदमे से मर गया।

इज़रायली सेना के भरोसेमंद सूत्रों ने इन परेशानियों की पुष्टि की है और कहा है कि वे उन हजारों सैनिकों की देखभाल कर रहे हैं, जो युद्ध के दौरान सदमे के कारण पीटीएसडी या मानसिक बीमारियों का सामना कर रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कितने सैनिकों ने अपनी जान ली है, क्योंकि इज़रायल डिफेंस फोर्सेज ने कोई आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं।

गौरतलब है कि इज़रायल ने हमास के हमलों के बाद एक साल के अंदर ग़ाज़ा में 42,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को मार डाला है, और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। ग़ाज़ा में चार महीने तक सेवा देने वाले इज़रायली सेना के एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर सीएनएन को बताया कि हम में से कई लोग फिर से लेबनान में युद्ध के लिए भेजे जाने से बेहद डरे हुए हैं, और इस समय हम सरकार पर भरोसा नहीं करते हैं। गौरतलब है कि इज़रायली सेना ने ग़ाज़ा को पत्रकारों के लिए बंद कर रखा है, लेकिन वहां लड़ने वाले इज़रायली सैनिकों ने सीएनएन को बताया कि उन्होंने ऐसी भयानक चीजें देखी हैं, जिन्हें बाहरी दुनिया सही मायने में नहीं समझ सकती।

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