इज़रायली सेना की क्रूरता: ग़ाज़ा के शरणार्थी शिविर पर बर्बर हमला, 40 मासूम शहीद 

इज़रायली सेना की क्रूरता: ग़ाज़ा के शरणार्थी शिविर पर बर्बर हमला, 40 मासूम शहीद 

ग़ाज़ा के शरणार्थियों पर इज़रायली सेना का एक और क्रूर हमला सामने आया है, जिसमें 40 निर्दोष लोगों की जान चली गई और 60 से अधिक घायल हो गए। अस्र की रिपोर्ट के मुताबिक, ग़ाज़ा के मोवासी शरणार्थी शिविर को निशाना बनाते हुए इज़रायल ने शक्तिशाली अमेरिकी निर्मित बमों का इस्तेमाल किया। ये हमला एक अत्यधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्र पर किया गया था, जहां लगभग 30 टेंट में विस्थापित शरणार्थी रह रहे थे।

ग़ाज़ा के राहत संगठन के प्रवक्ता महमूद बसल ने खुलासा किया कि इज़रायली सेना ने जानबूझकर शक्तिशाली विस्फोटक मिसाइलों से हमला किया, जिसने 10 मीटर गहरे विशाल गड्ढे छोड़ दिए और शिविर को मलबे में तब्दील कर दिया। इसके परिणामस्वरूप कई परिवार मलबे में दफन हो गए और लापता हो गए। इज़रायल की इस बर्बरता ने पीड़ितों की संख्या का सटीक आकलन करना मुश्किल बना दिया है, क्योंकि लगातार लापता लोगों की खबरें आ रही हैं।

इस हमले में इज़रायल द्वारा पहाड़ों को ध्वस्त करने के लिए बनाए गए एमके84 बमों का उपयोग किया गया, जो कि अमेरिका द्वारा निर्मित हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इज़रायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है। यूरो-मेडिटरेनियन मानवाधिकार वॉचडॉग ने स्पष्ट किया कि इज़रायल द्वारा इन बमों का उपयोग मानवता के खिलाफ एक बड़ा अपराध है, क्योंकि शरणार्थियों के शिविर पर ऐसे विध्वंसक हथियारों और विस्फोटकों का इस्तेमाल किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता।

इस हमले के परिणामस्वरूप दर्जनों परिवार पूरी तरह से मिट्टी में समा गए, जबकि राहत कार्यकर्ता लगातार मलबे के नीचे दबे पीड़ितों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इज़रायल का यह बर्बर हमला मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाने वाला है, जो कि न केवल ग़ाज़ा बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी है कि इस तरह की हिंसा कब तक बर्दाश्त की जाएगी।

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