इज़रायल शतरंज की बाज़ी हार चुका है: लारीजानी 

इज़रायल शतरंज की बाज़ी हार चुका है: लारीजानी 

ईरान की मजलिस-ए-शूरा के पूर्व अध्यक्ष अली लारीजानी ने ईरान- इज़रायल के बीच हुए हालिया 12 दिवसीय युद्ध पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि मौजूदा जंग ने कई हकीकतों को उजागर कर दिया है। उनके मुताबिक, शुरुआत में ऐसा लगा था कि पहले दिन इज़राइल को बढ़त मिल रही है, लेकिन समय के साथ ईरान ने मैदान में बाज़ी पलट दी और अब पूरे क्षेत्र में उसकी स्थिति मज़बूत हो चुकी है।

लारीजानी ने दावा किया कि इज़रायल और उसके सहयोगियों ने ईरान के अंदर माहौल बिगाड़ने की पूरी कोशिश की — चाहे वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ज़रिए मनोवैज्ञानिक दबाव हो, ईरानी नेतृत्व को निशाना बनाना हो, या फिर जनता को भड़काकर सरकार के खिलाफ खड़ा करना हो। लेकिन इन सब कोशिशों के बावजूद, ईरानी जनता ने उल्टा अपनी हुकूमत और देश के साथ खड़े होकर दुश्मनों को जवाब दिया।

उन्होंने इज़रायल की स्थिति को शतरंज के खेल से तुलना करते हुए कहा, “जैसे खिलाड़ी चेकमैट हो जाता है, इज़रायल आज उसी हालत में पहुँच चुका है। लारीजानी ने यह भी कहा कि, अब इज़रायल और पश्चिमी मीडिया यह संदेश देना चाहते हैं कि, उन्होंने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को निष्क्रिय कर दिया है और अब ईरान को ही आगे आकर इस जंग को खत्म कर देना चाहिए।

“पहले यही कहा जाता था कि, इज़रायल पीछे नहीं हटेगा, लेकिन अब सुर बदल चुके हैं। अब कहा जा रहा है कि जंग यहीं खत्म की जाए।” लारीजानी ने इज़रायल के हालिया ऑपरेशनों — जिनमें फोर्दो, नतंज और इस्फहान जैसे ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया गया था — को महज़ “चेहरा बचाने की कोशिश” क़रार दिया।

उनके मुताबिक, इस सबका असल मकसद अपनी नाकामियों पर परदा डालना है और यह दिखाना है कि उन्होंने कोई बड़ा काम कर लिया है, ताकि इज़रायल को जंग से बाहर निकलने का कोई बहाना मिल सके। आखिर में, उन्होंने ईरानी नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि सुप्रीम लीडर (आयतुल्लाह ख़ामेनई) ने बिलकुल सही फ़रमाया — दुश्मन सिर्फ़ शब्दों और मीडिया के ज़रिए जीत दिखाने की कोशिश कर रहा है, जबकि असलियत यह है कि मैदान में अब भी ईरान का दबदबा है।

ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद ईरान के पलटवार पर प्रतिक्रिया पहले तो वो चाहते थे कि, हम उनके सामने झुकें। कहते थे कि ईरान को बिना किसी शर्त के सरेंडर करना चाहिए। लेकिन अब वही लोग खुद गिड़गिड़ा रहे हैं।

उनकी मिन्नत क्या है? “ट्रम्प की इज़्ज़त बचाने के लिए ज़्यादा ज़ोर से मत मारो।” ईरान ने जवाब दिया, और जवाब मज़बूत था। ट्रंप ने झूठ बोला।

ईरान ने 14 मिसाइलें दागीं। ट्रंप ने भी माना कि 14 मिसाइलें चलीं, लेकिन कहा कि सिर्फ एक ही टारगेट पर लगी।जबकि हकीकत ये है कि 6 मिसाइलें सीधे निशाने पर लगीं।

हर मिसाइल में 400 किलो का वारहेड था और जबरदस्त तरीके से लगीं। लेकिन उन्होंने फुटेज नहीं दिखाया, क्योंकि इससे उनकी बेइज़्ज़ती होती। आखिरकार, ईरान ने अमेरिका के बेस पर हमला किया। हाँ, उनके डिफेंस सिस्टम ने 8 मिसाइलों को गिरा दिया, लेकिन 6 सीधा टारगेट पर लगीं। फिर दुनिया को ये दिखाने के लिए कि कुछ खास नहीं हुआ, उन्होंने कहा कि सिर्फ एक मिसाइल टारगेट पर लगी। मुझे फर्क नहीं पड़ता। ट्रम्प अगर अपने खयालों में खुश है तो रहने दो। लेकिन हम जानते हैं कि असल में क्या हुआ?

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