इज़रायल, अंसारुल्लाह के विरुद्ध गठबंधन बनाने में असफ़ल

इज़रायल, अंसारुल्लाह के विरुद्ध गठबंधन बनाने में असफ़ल

इज़रायल की प्रतिष्ठित वेबसाइट के अनुसार, इज़रायल का राजनीतिक नेतृत्व अब तक अमेरिका के नेतृत्व में अंसारुल्लाह (हूती) के खिलाफ व्यापक सैन्य अभियान शुरू करने के लिए एक गठबंधन बनाने में असफल रहा है। सैन्य सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर इज़रायल और उसके सहयोगियों के बीच स्पष्टता और सहयोग की कमी है।

इज़रायली अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया है कि इस मामले में बदलाव तब हो सकता है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर से सत्ता में लौटें। ट्रंप की पिछली नीतियों और उनकी पश्चिम एशिया नीति को देखते हुए, इज़रायल को उम्मीद है कि उनका नेतृत्व अंसारुल्लाह के खिलाफ एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने में मददगार होगा।

सैन्य दृष्टिकोण और नई रणनीति की आवश्यकता
इज़रायली सेना ने सुझाव दिया है कि प्रतिक्रिया आधारित नीति से आगे बढ़ते हुए उन्हें प्रिवेंटिव स्ट्रैटेजी यानी पूर्व-निर्धारित और आक्रामक उपायों को अपनाना होगा। इन उपायों में विशेष रूप से अंसारुल्लाह के अभियानों को निष्क्रिय करने के लिए केंद्रित और तेज़ हमलों की योजना बनाई गई है।

सेना प्रमुख हलेवी ने अपनी रणनीति में सुधार पर जोर देते हुए कहा है कि अंसारुल्लाह द्वारा अधिक गंभीर और व्यापक हमलों की संभावना को देखते हुए, इज़रायली रक्षा प्रणाली को अत्यधिक सतर्क और तैयार रहना होगा। इसके तहत हवाई हमलों की सटीकता बढ़ाने और खुफिया सूचनाओं को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने की योजना है।

खुफिया जानकारी की कमी और उसके प्रभाव
इज़रायली अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि खुफिया सूचनाओं की कमी उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। अंसारुल्लाह के “मुख्य ठिकानों” या “केंद्र बिंदुओं” की सही पहचान में असमर्थता के कारण महंगे हवाई हमलों की प्रभावशीलता कम हो रही है। यह स्थिति इज़रायल के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इसके चलते उनका रणनीतिक लाभ सीमित हो रहा है।

भविष्य की संभावनाएं
अंसारुल्लाह यमन में अपने प्रभाव के साथ-साथ इज़रायल पर हमले की क्षमता को निरंतर बढ़ा रहा है। ऐसे में इज़रायल न केवल गठबंधन बनाने में विफल हो रहा है, बल्कि अपनी सैन्य और राजनीतिक रणनीति को लेकर भी दबाव में है। इज़रायल को उम्मीद है कि अगर अमेरिका में सत्ता परिवर्तन होता है और डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे पश्चिम एशिया में इज़रायल की स्थिति को मजबूत करेंगे और अंसारुल्लाह के खिलाफ इज़रायल को अधिक समर्थन दिलाएंगे।

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