इज़रायल ने ग़ाज़ा पट्टी में 79 प्रतिशत मस्जिदें शहीद कर दीं
अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अनदेखी करते हुए ग़ाज़ा की नागरिक आबादी को निशाना बनाकर किए गए हमलों में इज़रायल ने शहर की 79 प्रतिशत मस्जिदों को तबाह कर दिया है। फ़िलिस्तीनी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इज़रायली हमलों में ग़ाज़ा की 1,245 मस्जिदों में से 814 पूरी तरह शहीद हो चुकी हैं, जबकि 148 मस्जिदों को भारी नुकसान पहुंचा है।
मस्जिदों के अलावा, 3 चर्च भी इन हमलों में तबाह हो चुके हैं, जबकि 60 में से 19 कब्रिस्तानों को जानबूझकर निशाना बनाया गया है। फ़िलिस्तीनी अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि इज़रायली सेनाएँ बार-बार कब्रिस्तानों का अपमान और कब्रों को खोलकर शव निकालने का अपराध कर रही हैं। यहूदी सेनाओं की क्रूर कार्रवाई से ग़ाज़ा में मृतक भी सुरक्षित नहीं हैं।
16,400 बच्चे शहीद
युद्ध अपराधों का उल्लंघन करते हुए, इज़रायल ने पिछले एक साल में 16 हज़ार से अधिक बच्चों को शहीद किया है। अगस्त तक के आंकड़ों में 16,400 बच्चों की शहादत की पुष्टि हुई है। इनमें 115 नवजात शिशु भी शामिल हैं। ग़ाज़ा में 3,500 बच्चे कुपोषण के कारण मौत के कगार पर हैं। ग़ाज़ा मीडिया कार्यालय के प्रमुख इस्माइल तवाबते ने बताया कि “17,000 से अधिक बच्चों ने इज़रायली हमलों में अपने माता-पिता को या उनमें से किसी एक को खो दिया है।”
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायली हमलों में 27 प्रतिशत बच्चे और 15 प्रतिशत महिलाएं शहीद हुई हैं। पुरुषों की संख्या 33 प्रतिशत है, जबकि 7 प्रतिशत बुजुर्ग इज़रायल के क्रूर हमलों का निशाना बने हैं, जबकि 17 प्रतिशत मारे गए लोगों की पहचान नहीं हो सकी है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि, ग़ाज़ा पट्टी में एक साल पूरे होने के बाद भी इज़रायल हमास को ख़त्म नहीं कर सका है। इज़रायल ने हमास के बहाने केवल स्कूलों, अस्पतालों और आम नागरिकों को यह कहते हुए निशाना बनाया है कि, वहां हमास के लड़ाकों ने शरण ले रखी थी, लेकिन एक साल पूरे होने के बाद भी उसने जिन अस्पतालों और स्कूलों को ध्वस्त किया उन स्कूलों या अस्पतालों से किसी एक हमास लड़ाके को ज़िंदा या मुर्दा पकड़कर साबित नहीं कर सका।
यह बात तो तय है कि, इज़रायल का मक़सद हमास को ख़त्म करना नहीं बल्कि, फिलिस्तीन और वहां की जनता को पूरी तरह तबाह कर देना है। ग़ाज़ा पट्टी के मज़लूमों के खून से जब इज़रायल की प्यास नहीं बुझी तो उसने लेबनान के नागरिकों का नरसंहार शुरू कर दिया है। इज़रायल के इस आतंक में अमेरिका और सभी यूरोपीय देश खुल कर उसका समर्थन कर रहे है, जबकि संयुक्त राष्ट्र और अरब देश मूक दर्शक बने इज़रायल का ख़ूनी खेल देख रहे हैं।