इज़रायल कभी भी हिज़्बुल्लाह से हथियार नहीं छीन सकता: शेख़ नईम क़ासिम
शहीद अली करकी की याद में आयोजित कार्यक्रम में हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव शेख़ नईम क़ासिम ने ज़ोर देते हुए कहा कि इज़रायली शासन कभी भी हिज़्बुल्लाह से हथियार नहीं छीन सकता, और जब तक प्रतिरोध ज़िंदा है, इज़रायल अपने किसी भी लक्ष्य में सफल नहीं हो सकेगा।
मेहर न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, अल-मयादीन की रिपोर्ट में बताया गया कि शेख़ नईम क़ासिम ने शहीद हाज अली अब्दुलमुनइम करकी (हाज अबुलफ़ज़्ल) — हिज़्बुल्लाह के एक प्रमुख कमांडर — की याद में आयोजित सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रतिरोधी नेता हाज अली करकी एक सच्चे इंसान थे जिन्होंने अपने चुने हुए रास्ते पर डटे रहकर इस्लाम-ए-नाबे-मोहम्मदी (सच्चे मुहम्मदी इस्लाम) के मार्ग को अपनाया।
शेख़ क़ासिम ने आगे कहा: शहीद अबुलफ़ज़्ल का हमारे ऊपर अधिकार है, क्योंकि वे महासचिव की जिहादी परिषद के एक सहयोगी थे और ऐसी प्रतिष्ठित शख्सियत थे जिन्हें जनता को जानना चाहिए। वे मई 1962 में पैदा हुए, कम उम्र से ही पैगंबर (स) के अहलेबैत से प्रेम रखते थे, उच्च शिक्षित थे और लेबनान में इस्लामी आंदोलन की पहली पीढ़ी के संस्थापकों में से थे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि “औली अल-बास” नामक युद्ध में प्रतिरोध ने बेरूत पर कब्ज़े से इज़रायल को रोका। हिज़्बुल्लाह ने युद्ध-विराम समझौते का पूरी तरह पालन किया है, लेकिन इज़रायल ने नहीं किया, और यह बात पूरी दुनिया के सामने है। लेबनान की सरकार ने अपनी सेना को जहां-जहां संभव हुआ, वहां तैनात किया है। हिज़्बुल्लाह, लेबनान सरकार और प्रतिरोध के सभी योद्धाओं ने समझौते के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाईं, लेकिन इज़रायल ने कोई ज़िम्मेदारी नहीं निभाई। दुनिया ने मान लिया है कि इज़रायल ने युद्ध=विराम कालगातार उल्लंघन किया है।
शेख क़ासिम ने आगे कहा: अब अमेरिका एक नया समझौता पेश कर रहा है, जिसका मतलब है कि इज़रायल के पिछले आठ महीनों के सभी अत्याचार जैसे कभी हुए ही नहीं। इस हमले का एकमात्र बहाना हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करना है, ताकि इज़राइल को संतोष मिले।
उन्होंने सवाल उठाया:
इज़रायल, सीरिया पर क्यों हमला करता है, जबकि वहां से कोई खतरा नहीं है? वे हर उस चीज़ को रोकना चाहते हैं जो इज़राइल के विस्तारवाद के खिलाफ प्रतिरोध बन सके। वे हर संभावित ख़तरे को निशाना बनाते हैं।
उप महासचिव ने कहा:
अमेरिका, इज़रायल के साथ मिलकर युद्ध में समन्वय कर रहा है और क्षेत्र में अपने प्रभाव को फैलाना चाहता है। इज़रायल की सुरक्षा के बहाने, वे हर जगह की जासूसी, क़ब्ज़ा और हमला करना चाहते हैं। वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बहाने बमबारी करते हैं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षकों ने इसे शांतिपूर्ण करार दिया है। फिर भी इज़रायल ईरान को मिटाना चाहता है, लेकिन तेहरान ने उन्हें मात दी है। इज़रायल एक विस्तारवादी और असली खतरा है।
उन्होंने बताया कि अमेरिका का एक विशेष दूत कहता है कि लेबनान “लुप्त हो जाने” के ख़तरे में है और धमकी देता है कि, लेबनान को किसी और देश में मिला दिया जाएगा। वे लेबनान सरकार और सेना को आपस में लड़ाने की साज़िश कर रहे हैं। हम, हिज़्बुल्लाह समूह और प्रतिरोध आंदोलन मानते हैं कि, प्रतिरोध, लेबनान और इसकी सभी धार्मिक जमातें आज एक अस्तित्वगत खतरे का सामना कर रही हैं।
उन्होंने विरोधियों को चेतावनी दी: शिया बनाम शिया की फूट पर दांव मत लगाइए, क्योंकि हिज़्बुल्लाह और प्रतिरोध आंदोलन के बीच एक सच्चा रणनीतिक सहयोग है। फसाद फैलाना और लेबनान को किसी बाहरी ताक़त से जोड़ने की कोशिश एक ख़तरनाक साज़िश है।
दुश्मन “ग्रेटर इज़रायल” के ख्वाब देख रहा है
शेख नईम क़ासिम ने अंत में कहा: दुश्मन “ग्रेटर इज़रायल” के ख्वाब देख रहा है और इसके लिए वह पूरे क्षेत्र को बांटना चाहता है। लेबनान इस समय तीन वास्तविक खतरों से जूझ रहा है: इज़रायल, पूर्वी सीमाओं पर मौजूद दाइश के आतंकी और अमेरिकी तानाशाही।
उन्होंने कहा:
असली मुद्दा हिज़्बुल्लाह को हथियारों से महरूम करना नहीं है, बल्कि यह इज़राइल के विस्तारवाद का रास्ता साफ करने की साज़िश है। प्रतिरोध का हथियार ही वह दीवार है जिसने लेबनान को खड़ा रखा है और इज़राइल को फैलने से रोका है।
शेख क़ासिम ने अंत में दो टूक कहा, जो लोग अपमान को स्वीकार करते हैं, वह उनका निजी फैसला है, लेकिन हम अपमान को स्वीकार नहीं करेंगे। हमने बड़ी कुर्बानियाँ दी हैं और हमारी ताक़त ही हमें आज इस मुकाम तक लाई है। इज़रायल कभी हमसे हथियार नहीं छीन सकता। अगर वह हमला करता है, तो हम अपना बचाव करने को तैयार हैं। जब तक हम ज़िंदा हैं, इज़राय ल अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकता।


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